Saturday, May 10, 2025
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जिसके पाँव छूने  को तरसते थे रसूखदार; उसे ही लातों से पीटते थे छुटभैये गुंडे 

यह सब दो मई, 1996 के बहुत पहले से चला. दिल्ली के कुतुब इंस्टीट्यूशनल एरिया में मौजूद शाही महल में सिंहासन जमाए बैठा एक व्यक्ति अपनी गर्व से भरी आँखों से अपने कदमों में नतमस्तक लोगों को देख रहा है. मामला दरबार जैसा है, लेकिन बात दीवाने-ख़ास की. क्योंकि उस जगह पर आम आदमी तो दूर, खास की भी एंट्री नहीं थी. बहुत अधिक ख़ास लोग ही उन चरणों की धूल अपने माथे पर लगाने की औकात रखते थे. 

यह अब दो मई, 1996 के बाद से लंबे समय तक चला. दिल्ली की तिहाड़ जेल में जेबकतरों और उठाईगीरों के बीच उसी व्यक्ति को भी ‘ठूंसा’ जा रहा है. भीड़ उसके लिए ‘चोर’ के नारे लगा रही है. जेल से छूटने के बाद वह व्यक्ति खुद किसी मीडियाकर्मी से कह रहा है, ‘वो कैदी वैन में मेरी दाढ़ी नोचते थे. मुझे लात-घूंसों से पीटते थे.’ 

23 मई, 2017 को हमेशा के लिए आँख बंद करने वाला यह शख्स था चंद्रास्वामी। जिसकी कहानी बताती है कि वक़्त चाहे तो एक झटके में फर्श से अर्श और फिर अर्श से फर्श वाले हालात बना सकता है. 

किसी समय नेमीचंद जैन जैसे साधारण इंसान से कभी चंद्रास्वामी बन जाने वाले  इस स्वयंभू तांत्रिक को आप चाहे जो भी कह लें, लेकिन उससे जुड़े कई अचंभे उसके साथ ही इस दुनिया से दूर जा छिपे हैं.

मसलन, क्या ये संभव है कि बिना पढ़ा-लिखा और अंग्रेजी से कोसों दूर का भी नाता न रखने वाला कोई आदमी दुनिया की शक्तिशाली हस्तियों में शुमार मार्गरेट थैचर को अपना मुरीद बना ले? ऐसा हुआ था. क्योंकि थैचर से पहली ही मुलाक़ात में स्वामी ने बता दिया था कि वो कब और कितने साल के लिए ब्रिटेन की प्रधानमंत्री बनेंगी. चंद्रास्वामी ने थैचर से जो कहा था, वह पूरी तरह सही निकला

हॉलीवुड की दिग्ग्गज हस्तियों में शामिल एलिजाबेथ टेलर भी थेचर की तरह ही चंद्रास्वामी की अनन्य प्रशंसक रहीं। क्योंकि स्वामी ने टेलर से कहा था कि वो मन में कोई बात सोच लें. टेलर के ऐसा सोचने से पहले स्वामी ने एक कागज़ पर कुछ लिखा। टेलर की आँखें फटी रह गईं, जब उन्होंने पाया कि चंद्रास्वामी उनके मन की बात पहले ही समझ चुके थे. 

पीवी नरसिंहराव देश के प्रधानमंत्री थे, लेकिन चंद्रास्वामी ही अकेला शख्स रहा, जिसे राव से मिलने के लिए कभी भी समय लेने की जरूरत नहीं पड़ी

इसी फेहरिस्त में एक और पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर का भी नाम आता है, जो चंद्रास्वामी के आगे नतमस्तक रहते थे

विश्व के सबसे बड़े हथियार सौदागर अदनान खशोगी को भारत में सत्ता से सीधे जोड़ने वाले चंद्रास्वामी के ताल्लुकात अपने समय के बहुत बड़े सेक्स स्कैंडल की मुख्य किरदार पॉमेला बोर्डेस से भी जुड़े। बोर्डेस दावा किया था कि हथियार  सौदों को सफल बनाने के लिए चंद्रास्वामी और खशोगी ने उसे कई लोगों के साथ ‘सोने’ के लिए भेजा। 

चंद्रास्वामी पर कई आरोप लगे. उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के हत्याकांड में शामिल बताया गया. मामले की जांच के लिए बने मिलापचंद जैन आयोग ने भी इस मामले में चंद्रास्वामी का हाथ होने की बात खुलकर कही थी. 

चंद्रास्वामी के दोस्तों में माफिया सरगना दाऊद इब्राहिम का नाम भी लिया गया. भारतीय मूल के विवादित व्यापारी लक्खूभाई पाठक ने भी उस समय चंद्रास्वामी पर अपने साथ करीब 65 लाख रुपए की धोखाधड़ी का आरोप लगाया था.

लेकिन एक के बाद लगे एक आरोपों के बीच चंद्रास्वामी तक तब महफूज रहे, जब तक कि 2 मई, 1996 की वो घड़ी नहीं आई थी. एक बार गिरफ्तार होने के बाद चंद्रास्वामी से सभी ने मुंह मोड़ लिया और फिर उनका जीवन कैसे बीता, यह ऊपर बताया ही जा चुका है. सही कहा गया है कि वक्त की हर शै गुलाम, वक्त का हर शै पे राज.

(लोकदेश के लिए रत्नाकर त्रिपाठी की रिपोर्ट)