
देश की सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और इसी राज्य से कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा को सलाह दी है कि वो अपना आपसी कानूनी विवाद अदालत से वापस लेकर आपस में ही सुलझा लें.
कोर्ट ने दोनों नेताओं से कहा- कृपया हमें यह केस सुनने के लिए मजबूर न करें। हम इसे बंद कर दें? ताकि आप सौहार्दपूर्ण माहौल में बात कर इस विवाद को निपटा लें.
शीर्ष अदालत ने चौहान की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी और तन्खा की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल से कहा कि वे एक साथ बैठकर मानहानि विवाद को सुलझा लें।
शीर्ष अदालत ने इस साल मार्च में इस आपराधिक मानहानि मामले के सिलसिले में मध्य प्रदेश की निचली अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से पेश होने से चौहान को छूट देने के अपने 11 नवंबर, 2024 के अंतरिम आदेश को बढ़ा दिया था। अदालत ने 11 नवंबर, 2024 को तन्खा द्वारा दायर मानहानि मामले में श्री चौहान के खिलाफ जमानती वारंट के निष्पादन पर रोक लगा दी थी।
चौहान ने 25 अक्टूबर, 2024 के मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत के समक्ष अपील की थी। उच्च न्यायालय ने उनके खिलाफ मानहानि का मामला रद्द करने से इनकार कर दिया गया था।
मामला अपमानजनक बयान देने का
तन्खा ने निचली अदालत में अपनी शिकायत में कहा था कि 2021 में राज्य में होने वाले पंचायत चुनावों से पहले उनके खिलाफ अपमानजनक बयान दिए गए थे। उन्होंने अपनी मानहानि शिकायत में आरोप लगाया है कि चौहान, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने मध्य प्रदेश में 2021 के पंचायत चुनावों में ओबीसी आरक्षण का विरोध करने का आरोप लगाकर राजनीतिक लाभ के लिए उनके खिलाफ ‘संगठित, दुर्भावनापूर्ण, झूठा और मानहानिकारक’ अभियान चलाया।
केंद्रीय मंत्री और अन्य भाजपा नेताओं ने उनके इन आरोपों को जोरदार तरीके से खारिज कर दिया।
(लोकदेश डेस्क/एजेंसी। नई दिल्ली/भोपाल)