Thursday, May 8, 2025
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भरपूर बहुमत, फिर भी महज ‘एक’ वाले आंकड़े के लिए क्यों अपनी फजीहत करा रही है भाजपा ? 

मध्यप्रदेश में बीना सीट से विधायक निर्मला सप्रे के चलते एक बार फिर सत्तारूढ़ भाजपा को फजीहत वाली स्थिति का सामना करना पड़ रहा है. 

230 सदस्यों वाली राज्य विधानसभा में भाजपा के पास पर्याप्त बहुमत है. उसके विधायकों की संख्या 165 है. यानी सरकार बहुमत के  लिहाज से पूरी तरह सुरक्षित है. 

इसके बाद भी निर्मला सप्रे को लेकर भाजपा जिस ‘मोहपाश’ से जुड़ी दिख रही है, वो विचित्र है. 

निर्मला सप्रे कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में साल 2023 के विधानसभा चुनाव में सागर जिले की बीना सीट से जीती थीं. बीते साल (2024) के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के कई नेता एक-एक कर भाजपा में आने लगे. जाहिर है कि मुख्य विपक्ष को और कमजोर करने के लिहाज से भाजपा के लिए यह शुभ संकेत था. लिहाजा पार्टी ने राज्य में बाकायदा ‘न्यू जॉइनिंग टीम’ नाम के प्रकोष्ठ का गठन भी कर दिया।

2023 का विधानसभा चुनाव हारने वाले भाजपा नेता और प्रदेश के पूर्व गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा इस टीम के संयोजक बने और उन्हें भरपूर सफलता भी मिली। 

इसी बीच पांच मई 2024 को ,मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मौजूदगी में निर्मला सप्रे ने सार्वजनिक मंच से भाजपा में शामिल होने की घोषणा कर दी. खुद डॉ. यादव ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर सप्रे का अपनी पार्टी में स्वागत कर दिया। 

लेकिन सप्रे अब भी न तो विधिवत भाजपा में आई हैं और न ही उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफ़ा दिया है. यदि वो कांग्रेस से इस्तीफ़ा देती हैं तो फिर दल बदल कानून के तहत उनकी विधायकी ख़त्म हो जाएगी और बीना सीट पर उपचुनाव होगा। 

इस सबके बीच हाल ही में नया विवाद हो गया. भाजपा ने सागर के लिए अपनी कार्यसमिति की घोषणा की. इसमें निर्मला सप्रे को विशेष आमंत्रित सदस्य का दर्जा दिया गया.कांग्रेस ने मुद्दा लपकने में कोई चूक नहीं की. पार्टी के युवा तुर्क और राज्य विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत  कटारे ने भाजपा की लिस्ट को सोशल मीडिया पर जारी किया और कहा कि सप्रे चूंकि भाजपा में आ गई हैं, लिहाजा उन्हें विधायक पद से अयोग्य घोषित किया जाए. 

 पीसी शर्मा भी कांग्रेस के जुझारू नेताओं में शामिल हैं. शर्मा भोपाल की एक सीट से पार्टी के दो बार के विधायक भी हैं. शर्मा ने भी कटारे की ही तरह सप्रे को लेकर भाजपा पर हमला करने में कोई समय नहीं गंवाया। 

भाजपा ने तुरत-फुरत में यह लिस्ट तो वापस ले ली, लेकिन तब तक सोशल मीडिया पर भाजपा द्वारा जारी की गई यह लिस्ट ही वायरल हो चुकी थी. अब भाजपा चुप है और कांग्रेस इस मामले को लेकर उस पर दनादन हमले कर रही है. 

विजयपुर की पराजय से सहमी भाजपा 

जानकार कहते हैं कि भाजपा के लिए निर्मला सप्रे ने ‘न निगलते बने और न उगलते बने’ वाली हालत पैदा कर दी है. क्योंकि सप्रे ने आज तक अपनी दल वाली स्थिति को लेकर बात साफ़ नहीं की है. भाजपा जानती है कि सप्रे की ही तरह साल 2024 में कांग्रेस के एक दिग्गज नेता रामनिवास रावत के मामले में उसकी कैसी थू-थू हुई थी. 

रावत कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए. उनकी सीट विजयपुर खाली हुई. फिर इसी सीट पर हुए उपचुनाव में रावत को कांग्रेस के हाथों ही मात मिली। भाजपा इस बात से डरी हुई है कि यदि सप्रे की सीट पर विधानसभा उपचुनाव में उसे विजयपुर जैसा ही परिणाम मिला तो उसके लिए शर्मनाक स्थिति बन सकती है. इसीलिए पार्टी सप्रे को लेकर ऊहापोह में है. 

निश्चित ही सप्रे की भाजपा में आने की घोषणा इस पार्टी के लिए कांग्रेस को और कमजोर करने का बड़ा जरिया बन सकती थी , लेकिन अब तक जो हो रहा है, उसे देखकर साफ़ है कि भाजपा इस महिला विधायक के चलते खुद भी हिली हुई है और सहमी हुई भी है. 

राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार सप्रे की विधायकी रद्द कराने की मांग के साथ विधानसभा सचिवालय को नोटिस दे चुके हैं. सिंघार इस मामले को लेकर कोर्ट में भी गए हैं. 

यह साफ़ है कि सप्रे का दल बदल साबित होने की स्थिति में उन्हें विधायक पद छोड़ना होगा। क्या इसीलिए वो ‘इधर चली मैं, उधर चली’ वाला खेल खेल रही हैं और भाजपा सब जानकर भी मजबूरी वाले हालात में चुप है? 

(लोकदेश के लिए भोपाल से रत्नाकर त्रिपाठी की रिपोर्ट)