Monday, June 9, 2025
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बीजेपी विधायक पर एक के बाद एक गंभीर आरोप,  लेकिन हर बार कैसे बच जाते हैं सुरेंद्र पटवा? 

मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के विधायक सुरेंद्र पटवा की मुश्किलें बढ़ गई हैं. पटवा पर बैंकों से धोखाधड़ी कर फर्जी खोलने के मामले में एफआईआर दर्ज करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी है. इससे पहले हाई कोर्ट ने इस एफआईआर पर रोक लगा दी थी. इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया है.

पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटवा रायसेन जिले की भोजपुर सीट से बीते चार बार से विधायक हैं. वे मध्यप्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे अपने समय के दमदार भाजपा नेताओं में शामिल सुंदरलाल पटवा के भतीजे हैं.

सुंदरलाल पटवा का गृह जिला मंदसौर था, लेकिन भोजपुर सीट ने उन्हें भरपूर अपनापन प्रदान किया. अपने जीवनकाल में खुद पटवा कहते थे कि भोजपुर से यदि किसी पशु की पूँछ पर भाजपा का झंडा लगा दो तो वह भी चुनाव जीत जाएगा।

पटवा की यह बात सही लगती है. वो साल 1985 में पहली बार भोजपुर से जीते। कुल चार बार यहां से विधानसभा में गए. दो बार उन्होंने सीट छोड़ी और दोनों ही बार उनके द्वारा तय भाजपा उम्मीदवार ही इस सीट से जीते। साल 1997 में रामकिशन सिंह चौहान और 1999 में नरेश पटेल यहां से जीते। इन दोनों नेताओं का सियासी सफर इससे आगे नहीं बढ़ पाया।

अलबत्ता, साल 2003 इसका अपवाद रहा, जब सुरेंद्र पटवा को इस सीट पर कांग्रेस के राजेश पटेल के हाथ हार का सामना करना पड़ा. पटवा तब पहली बार इस सीट से उम्मीदवार थे. मगर इसके बाद से अब तक हुए सभी चार विधानसभा चुनावों में सुरेंद्र इस सीट पर लगातार जीतते आ रहे हैं. 

सुरेंद्र पटवा का विवादों से चोली-दामन का रिश्ता रहा है. खासतौर से बैंकों से धोखाधड़ी के आरोपों के चलते उन्होंने खासी बदनामी झेली है. साल 2021 में सीबीआई ने इंदौर के एक बैंक के साथ 29 करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी के मामले में सुरेंद्र और उनकी पत्नी मोनिका के खिलाफ केस दर्ज किया था. 

सुरेंद्र पटवा के खिलाफ बैंकों का कर्ज न चुकाने और नीलामी के कई नोटिस कई बार अखबारों में प्रकाशित हो चुके हैं.

इस सबके चलते भले ही सुरेंद्र पटवा को एक बार के बाद अब तक मंत्री बनने का मौका नहीं मिला हो, लेकिन भाजपा ने उन पर विधायक के उम्मीदवार के रूप में भरपूर भरोसा कायम रखा है. भोजपुर की जनता को भी जैसे इस सबसे कोई लेना-देना नहीं है. पटवा लगातार जीतते ही आ रहे हैं. 

साल 2021 में सीबीआई द्वारा केस दर्ज किए जाने के बाद माना जा रहा था कि पटवा के लिए अब बहुत कठिन समय आ गया है. लेकिन उन्हें तब राहत मिली थी, जब हाई कोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने पर रोक लगा दी थी. 

लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के इस फैसले को पलटकर पटवा के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी है. यदि वे गिरफ्तार किए जाते हैं तो फिर उनके सियासी भविष्य के लिए यह बहुत बड़ा झटका होगा, क्योंकि तब भाजपा भी पटवा पर दांव लगाने से बचना चाहेगी। 

वैसे अब तक तो यही दिखता है कि तमाम  विवादों के बाद भी भोजपुर सीट पटवा के लिए शुभंकर ही साबित हुई है. यह सिलसिला आगे कब तक कायम रहेगा, यह समय ही बता सकता है.

(लोकदेश के लिए रत्नाकर त्रिपाठी की रिपोर्ट)