
उज्जैन , लोकदेश रिपोर्ट
उज्जैन में प्रतिवर्ष की भांति इस साल भी पंचक्रोशी यात्रा प्रारंभ हो गई है। बुधवार से शुरू हुई इस यात्रा में दूसरे दिन गुरुवार को भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए हैं। इस बार की यात्रा में प्रौढ़ और वृद्ध आयु वर्ग के श्रद्धालुओं के अलावा युवा वर्ग भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। विभिन्न पड़ाव स्थलों पर जिला प्रशासन के द्वारा माकूल व्यवस्थाएं तो की ही गई हैं, साथ ही स्थानीय नागरिक भी पंचक्रोशी यात्रा में अपनी ओर से सेवाएं दे रहे हैं। पंचक्रोशी यात्रा के विभिन्न पड़ाव स्थलों पर यात्रियों के लिए शरबत, खिचड़ी, स्वल्पाहार, भोजन, ठंडे पेयजल की व्यवस्था की गई है।
पंचक्रोशी यात्रा गुरुवार को एक करोहन स्थित कायावरोहणेश्वर महादेव मंदिर पड़ाव स्थल पर पहुंची। मध्य मार्ग में लोगों ने कुछ समय रुककर विश्राम किया और फिर अपने गंतव्य की ओर निकल पड़े। कई यात्री बीच में रखकर मालवा के प्रसिद्ध व्यंजन दाल बाटी को बनाते हैं और परिवार सहित भोजन करते हैं। विश्राम कर भजन कीर्तन करते हैं।
वास्तव में पंचक्रोशी यात्रा श्रद्धा और धार्मिक परंपरा की यात्रा के साथ-साथ आनंद, उत्सव, आपसी सहयोग, और सामंजस्य को बढ़ाने वाली यात्रा भी है। इस यात्रा में न सिर्फ लोग साथ में यात्रा करते हैं बल्कि उनका आपसी प्रेम और विश्वास भी बढ़ता है। शासन द्वारा विभिन्न पड़ाव स्थलों पर पेयजल और फव्वारों की पर्याप्त व्यवस्थाएं की गई है। इसका सभी लोग लाभ ले रहे हैं। रास्ते में लगाए गए ठंडे पानी के फव्वारे में श्रद्धालुओं को भीषण गर्मी से राहत मिलती है। वे हाथ मुंह धोकर कर, ठंडा पानी पीकर एक बार पुन: तरो ताज होकर अगले गंतव्य की ओर निकल पड़ते हैं।
रास्ते में आने वाले प्रमुख मंदिरों में भजन कीर्तन का दौर चलता रहता है। श्रद्धालु इन पर आनंदित होकर नृत्य करते हैं। सभी पड़ाव स्थलों पर धर्म और आस्था का मेला सा लग जाता है। श्रद्धालुओं के लिए भंडारे और नि: शुल्क पेयजल के कई काउंटर लगे रहते हैं। जिला प्रशासन की ओर से सभी पड़ाव स्थलों पर फायर ब्रिगेड, सांची दुग्ध संघ के द्वारा ठंडे पानी के टैंकर, कचरा गाड़ी, खोया पाया केंद्र, माईक अनाउंसमेंट सिस्टम, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, शासकीय उचित मूल्य दुकान, मलहम वितरण केन्द्र आदि सभी व्यवस्थाएं की गई हैं।