
देश की सरहद से दूर रह रहे सनातनियों के हृदय में भी भगवान शिव के लिए अगाध आस्था है. इसी आस्था की एक ताजा मिसाल सिंगापुर में देखी जा सकती है, जहां स्थित इंडियन हेरिटेज सेंटर (आईएचसी) में भगवान शिव के ‘अर्धनारीश्वर’ स्वरूप की नृत्य मुद्रा वाली दुर्लभ कांस्य प्रतिमा प्रदर्शित की गई है।
यह प्रतिमा उन 60 अमूल्य सांस्कृतिक धरोहरों में से एक है, जिन्हें सिंगापुर में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों ने हेरिटेज सेंटर को दान किया है।
‘अर्धनारीश्वर’ भगवान शिव का एक रूप है, जिसमें आधा शरीर पुरुष (शिव) और आधा महिला (पार्वती) का होता है।
आईएचसी ने हाल ही में अपनी 10वीं वर्षगांठ के मौके पर मीडिया पूर्वावलोकन के दौरान बताया कि इन कलाकृतियों में खूबसूरती से गढ़ा गया, सोने का एक नक्काशीदार कड़ा भी शामिल है, जिस पर दो मोरों की आकृति बनाई गई है।
इनमें से तीस कलाकृतियां पहले से ही लिटिल इंडिया परिसर में स्थित आईएचसी में प्रदर्शित हैं।
यह प्रदर्शनी सिंगापुर के भारतीय और दक्षिण एशियाई समुदायों के इतिहास एवं विरासत को प्रदर्शित करती है।
सलमा मोइज (84) ने कहा कि पिछली पीढ़ियों के अनुभवों को दर्ज करना और यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि इन धरोहरों को ऐसी जगह रखा जाए जहां उनकी देखभाल हो और उन्हें सम्मान के साथ सराहा जाए।
द स्ट्रेट्स टाइम्स ने मोइज़ के हवाले से कहा, “अगर ये वस्तुएं बस, पीढ़ियों के साथ आगे बढ़ती रहीं, तो हो सकता है कि लोग इनके इतिहास और महत्व को न समझ पाएं। लेकिन यहां, विरासत केंद्र में, इन्हें हमेशा के लिए सहेजकर रखा जाता है।”
इस आयोजन के बारे में आईएचसी के अध्यक्ष आर राजाराम ने बताया ‘‘संग्रहालयों को शांति एवं चिंतन के स्थान के रूप में देखा जाता है, लेकिन इसे दिलचस्प और आकर्षक बनाने के लिए अतिरिक्त प्रयास की आवश्यकता है।”
सिंगापुर के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में रजिस्ट्रार 62 वर्षीय राजाराम ने कहा कि आईएचसी सिंगापुर में भारतीयों के इतिहास पर केंद्रित एकमात्र संग्रहालय है।
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