Monday, May 12, 2025
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दिन-भर में तीन बार रूप बदलने वाली देवी के चमत्कार से सभी सम्मोहित 

देवी-देवताओं के चमत्कारों को लेकर कई बातें चलती रहती हैं. आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहाँ   ज्ञान की देवी मां शारदा  दिन के तीन पहरों में अलग अलग रुपों में अपने भक्तों को दर्शन देती हैं। 

यह मंदिर बुंदेलखंड  अंचल के उत्तरप्रदेश वाले हिस्से के जालौन जिले में है जहां के बारे में मान्यता है कि यहां देवी एक कुंड से प्रकट हुई थीं। 

जिला मुख्यालय उरई से लगभग 30 किमी दूर ग्राम बैरागढ़ में स्थित इस मंदिर में ज्ञान की देवी सरस्वती मां शारदा के रूप में विराजमान हैं। किवदंतियों के अनुसार, यह मंदिर आदिकाल में निर्मित हुआ था और मां शारदा की मूर्ति मंदिर के पीछे बने एक कुंड से निकली थी। इस कारण इस स्थान को शारदा देवी सिद्ध पीठ कहा जाता है।

 मान्यता है कि देवी प्रतिमा दिन में तीन रूपों में दिखती है,सुबह के समय कन्या के रूप में, दोपहर को युवती के रूप में और शाम को मां के स्वरूप में। इन अद्भुत दर्शनों के लिए श्रद्धालु पूरे देश से यहां आते हैं। 

मां शारदा शक्ति पीठ ऐतिहासिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पृथ्वीराज चौहान और आल्हा-उदल के युद्ध की साक्षी रही है। 

ग्यारहवीं सदी में बुंदेलखंड के तत्कालीन चंदेल राजा परमर्दिदेव (राजा परमाल) पर पृथ्वीराज चौहान ने आक्रमण किया था। उस समय चंदेलों की राजधानी महोबा थी और आल्हा-उदल राजा परमाल के मंत्री होने के साथ-साथ वीर योद्धा भी थे। बैरागढ़ के युद्ध में आल्हा-उदल ने पृथ्वीराज चौहान को बुरी तरह परास्त कर दिया था। 

कहा जाता है कि आल्हा और उदल मां शारदा के उपासक थे, और मां शारदा ने आल्हा को यह वरदान दिया था कि उन्हें युद्ध में कोई नहीं हरा सकेगा। उदल की मृत्यु के बाद, आल्हा ने पृथ्वीराज चौहान से अकेले युद्ध किया और विजय प्राप्त की। विजय के प्रतीक स्वरूप आल्हा ने मां शारदा के चरणों के पास अपनी सांग (युद्ध भाला) गाड़ दी थी। यह सांग इतनी गहरी गड़ी हुई थी कि पृथ्वीराज चौहान भी इसे निकाल नहीं पाए और न ही इसकी नोक को सीधा कर सके।

इसके बाद आल्हा ने युद्ध से संन्यास लेकर बैराग ले लिया और तभी से इस स्थान का नाम बैरागढ़ पड़ा। आज भी मंदिर के मठ के ऊपर आल्हा द्वारा गाड़ी गई 30 फीट ऊंची सांग विद्यमान है, और इसका अधिकांश भाग जमीन के अंदर धंसा हुआ है। यह सांग इस मंदिर की प्राचीनता और ऐतिहासिकता का प्रतीक है। देश में मां शारदा के ऐसे केवल दो प्रमुख मंदिर हैं जिसमें एक बैरागढ़ में और दूसरा मध्य प्रदेश के सतना जिले के मैहर में स्थित है। 

(लोकदेश डेस्क/एजेंसी। जालौन)