Thursday, May 22, 2025
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‘सुनो पाकिस्तान! और ‘हरकत’ की तो फिर भारत के एक और जवाब के लिए तैयार भी रहना’

ऑपरेशन सिंदूर के बाद गीदड़भभकी देने पर आमादा पकिस्तान को भारत ने  चेतावनी देते हुए साफ़ कहा है कि “अब यदि पाकिस्तान द्वारा और अधिक तनाव बढ़ाने का प्रयास किया जाता है, तो इसका उचित तरीके से जवाब दिया जाएगा और इसलिए निर्णय पूरी तरह से पाकिस्तान को ही लेना है।” भारत ने विश्व समुदाय से आज कहा कि जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल का बर्बर आतंकवादी हमला उसकी उकसावे वाली पहली कार्रवाई थी और भारतीय सेना का ऑपरेशन सिंदूर, उसकी ‘नपीतुली, संतुलित, समानुपातिक एवं गैर-भड़काऊ’ कार्रवाई है जिसमें केवल आतंकवादी ठिकानों को ही निशाना बनाया गया है।
भारत ने पुन: दोहराया कि उसका इरादा इस टकराव को बढ़ाना नहीं है और वह केवल पाकिस्तान के उकसावे की हरकतों का जवाब दे रहा है और आगे भी ऐसा ही करेगा। भारत ने दो टूक शब्दों में कहा, सिंधु जल संधि का  भारत छह दशकों से अधिक समय से सम्मान करता आ रहा है, यहां तक ​​कि उस समय भी जब पाकिस्तान ने हम पर कई युद्ध थोपे थे। यह हमारी सहनशीलता का प्रमाण है।’

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी और वायु सेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह के साथ गुरूवार को ऑपरेशन सिंदूर के बारे में एक विशेष ब्रीफिंग में कहा कि भारतीय सेनाओं की अब तक की कार्रवाई पाकिस्तान की हरकतों का जवाब मात्र है और यह नपी तुली, सटीक और गैर-भड़काऊ रही है। उन्होंने कहा कि विश्व के ज्यादातर नेताओं के बयान भारत के इस रूख की पुष्टि करते हैं।
मिस्री ने कहा, “वैश्विक आतंकवाद के केंद्र के रूप में पाकिस्तान की प्रतिष्ठा कई उदाहरणों में निहित है… मुझे यह याद दिलाने की आवश्यकता नहीं है कि ओसामा बिन लादेन कहां पाया गया था और किसने उसे शहीद कहा था… पाकिस्तान बड़ी संख्या में संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादियों और कई देशों द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादियों का भी घर है… आपने पिछले कुछ दिनों में देखा होगा कि उनके रक्षा मंत्री और पूर्व विदेश मंत्री ने ऐसे आतंकवादी समूहों के साथ अपने देश की संलिप्तता को स्वीकार किया है।”
विदेश सचिव ने पहलगाम हमले की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त और निष्पक्ष जांच कराने के प्रस्ताव को पाकिस्तान की पुरानी चाल बताते हुए कहा कि जांच में सहयोग के उसके दावे खोखले हैं और मुंबई और पठानकोट हमले में उसका रवैया जगजाहिर है। वह भारत द्वारा उपलब्ध कराये जाने वाले सबूतों का इस्तेमाल आतंकवादियों को बचाने तथा जांच में बाधा डालने के लिए करता रहा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान पहलगाम आतंकवादी हमले से अपना दामन बचाना चाह रहा है लेकिन उसके खिलाफ आतंकवाद में संलिप्तता के भारत सहित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेक सबूत हैं। उन्होंने कहा कि जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पहलगाम हमले के बारे में चर्चा चल रही थी, तो पाकिस्तान ने टीआरएफ (दि रेजिस्टेंस फ्रंट) का नाम लिखे जाने का विरोध किया था। यह तब हुआ जब टीआरएफ ने एक बार नहीं, बल्कि दो बार हमले की जिम्मेदारी ली है।”
उन्होंने कहा कि कर्नल कुरैशी और विंग कमांडर सिंह ने कल और आज भी स्पष्ट रूप से कहा कि भारत की प्रतिक्रिया गैर-बढ़ाने वाली, सटीक और नपी-तुली है। हमारा इरादा टकराव को बढ़ाने का नहीं है और हम केवल उकसावे की कार्रवाई का जवाब दे रहे हैं। किसी भी सैन्य लक्ष्य को निशाना नहीं बनाया गया है। केवल पाकिस्तान में आतंकवादी ढांचे को निशाना बनाया गया है।
पाकिस्तानी क्षेत्र में मारे गये लोगों की पहचान के बारे में एक सवाल के जवाब में  मिस्री ने कहा कि जहां तक ​​हमारा सवाल है, इन ठिकानों में मारे गए लोग आतंकवादी थे। आतंकवादियों को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार देना पाकिस्तान में एक प्रथा हो सकती है। उन्होंने कहा, “यह भी अजीब है कि नागरिकों के अंतिम संस्कार उनके राष्ट्रीय ध्वज में लिपटे ताबूतों के साथ किए जा रहे हैं और उन्हें राजकीय सम्मान दिया जा रहा है। इन ठिकानों में मारे गए लोग आतंकवादी थे। आतंकवादियों को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार देना पाकिस्तान में एक प्रथा हो सकती है, लेकिन हमें यह समझ में नहीं आता।”
पाकिस्तानी सेना की कार्रवाई में भारत में नुकसान के पाकिस्तानी नेताओं के बयानों और दावों को खारिज करते हुए भारत ने कहा कि पाकिस्तान भ्रामक प्रचार कर रहा है और वह जन्म के बाद से ही झूठ की राह पर चल रहा है। उन्होंने कहा, “इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। आखिर ये वो देश है जिसने जन्म लेते ही झूठ बोलना शुरू कर दिया था। 1947 में जब पाकिस्तानी सेना ने जम्मू-कश्मीर पर हमला किया था, तो उन्होंने किसी अनजान व्यक्ति से नहीं बल्कि संयुक्त राष्ट्र से झूठ बोला था कि हमारा इससे कोई लेना-देना नहीं है। बाद में संयुक्त राष्ट्र के पर्यवेक्षक पहुंचे तो मानना पड़ा। पाकिस्तान के झूठ का ये सफ़र 75 साल पहले शुरू हुआ था।”
मिस्री ने कहा, “पाकिस्तान यह भी आरोप लगाता है कि हमने पाकिस्तान के जम्मू-कश्मीर में नीलम-झेलम बांध को निशाना बनाया है, यह पूरी तरह से मनगढ़ंत और सफेद झूठ है।” उन्होंने चेतावनी भरे शब्दों में कहा, “भारत ने केवल आतंकवादी बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया है। अगर इस तरह का दावा इसी तरह की प्रकृति के भारतीय बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने का बहाना है, तो निस्संदेह इसके बाद आने वाले परिणामों के लिए पाकिस्तान पूरी तरह से जिम्मेदार होगा।”
सिंधु जल संधि को स्थगित करने के भारत के फैसले काे सही बताते हुए उन्होंने कहा कि यह संधि 1960 के दशक की है और मौजूदा परिप्रेक्ष्य में यह अप्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी और आबादी में हुए बदलावों तथा जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को देखते हुए इस पर दोबारा विचार करना जरूरी है और भारत पिछले ढाई वर्ष से पाकिस्तान को इस संधि की नये सिरे से समीक्षा की जरूरत के बारे में लिखता आ रहा था लेकिन पाकिस्तान इसे लगातार टाल रहा था।
उन्होंने कहा, “सिंधु जल संधि जिन परिस्थितियों में संपन्न हुई थी, उनमें मौलिक परिवर्तन हुए हैं… पिछले ढाई वर्षों से भारत पाकिस्तान सरकार के साथ संवाद कर रहा है। हमने संधि में संशोधन पर चर्चा के लिए वार्ता का अनुरोध करते हुए उन्हें कई नोटिस भेजे हैं। भारत 6 दशकों से भी अधिक समय से इस संधि का सम्मान करता आ रहा है, यहां तक ​​कि उस समय भी जब पाकिस्तान ने हम पर कई युद्ध थोपे थे। पाकिस्तान ही संधि का उल्लंघन करता रहा है, जानबूझकर भारत के पश्चिमी नदियों पर अपने वैध अधिकारों का प्रयोग करने में कानूनी बाधाएं खड़ी करता रहा है। यह भारत का धैर्य ही है कि हम पिछले 65 वर्षों से, इतने उकसावे के बाद भी संधि का पालन करते आ रहे हैं। अब स्थितियां बदल गई हैं। यह संधि 50 और 60 के दशक की इंजीनियरिंग तकनीकों पर आधारित थी। तकनीकी बदलावों और उन्नति को ध्यान में रखना होगा।”
 मिस्री ने कहा कि पाकिस्तानी सेना नागरिक ठिकानों और निर्दोष लोगों को निशाना बना रही है जिसमें 16 लोगों की मौत हुई है और 59 घायल हुए हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद को बढावा देने के लिए धर्म का इस्तेमाल कर रहा है और भारत में गुरूद्वारे तक को निशाना बनाकर निर्दोष लोगों की जान ले रहा है। उन्होंने कहा, “कल, पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के सिख समुदाय पर लक्षित हमला किया- पुंछ में एक गुरुद्वारे पर हमला किया और सिख समुदाय के सदस्यों को निशाना बनाया, जो हमले की चपेट में आ गए। हमलों में तीन लोग मारे गए। पुंछ में कुल 16 नागरिक मारे गए हैं और कई अन्य घायल हुए हैं।”
पाकिस्तान को विश्व बैंक एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से सहायता दिये जाने के संबंधे में एक सवाल के जवाब में विदेश सचिव ने कहा कि हमारे पास आईएमएफ में एक कार्यकारी निदेशक हैं। कल आईएमएफ के बोर्ड की बैठक है, और मुझे यकीन है कि हमारे कार्यकारी निदेशक भारत का पक्ष रखेंगे। बोर्ड के फैसले एक अलग मामला है। लेकिन मुझे लगता है कि पाकिस्तान के मामले में मामला उन लोगों के लिए स्पष्ट होना चाहिए जो इस देश को बचाने के लिए उदारतापूर्वक अपनी जेबें खोलते हैं।
विदेश सचिव से पहले दोनों महिला सैन्य अधिकारियों ने बीती रात पाकिस्तान की भारत के ठिकानों पर हमला करने की विफल कोशिश की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत ने सुबह इसकी जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान के अनेक वायु रक्षा प्रणाली और राडार केन्द्रों को निशाना बनाया और लाहौर में उसकी वायु रक्षा प्रणाली को निष्क्रिय कर दिया।
विदेश सचिव ने देशवासियों से यह अनुरोध भी किया कि वे सोशल मीडिया पर आने वाली किसी सूचना पर विश्वास नहीं करें और आधिकारिक जानकारी पर ही भरोसा करें क्योंकि सीमापार से झूठ का कारोबार चलाया जा रहा है।

(लोकदेश डेस्क/एजेंसी। नई दिल्ली)