Tuesday, April 29, 2025
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वक्फ कानून- सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्तियां रोकीं, केन्द्र सरकार सात दिन में देगी जवाब

नई दिल्ली। नए वक्फ कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने लगातार दूसरे दिन सुनवाई हुई। इस दौरान सर्वोच्च अदालत ने वक्फ कानून पर फिलहाल स्टे नहीं लगाया है। सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के इस बयान को रिकॉर्ड में लिया कि केंद्र सात दिनों के भीतर जवाब देगा। अगली सुनवाई 5 मई को होगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि काउंसिल और बोर्ड को कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल ने आश्वासन दिया कि अगली सुनवाई की तारीख तक, वक्फ, जिसमें पहले से पंजीकृत या अधिसूचना के माध्यम से घोषित वक्फ शामिल हैं। उनको न तो डीनोटिफाई किया जाएगा और न ही कलेक्टर को बदला जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र को सात दिनों के भीतर जवाब दाखिल करना चाहिए।
वक्फ संशोधन अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर एडवोकेट बरुण कुमार सिन्हा ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून पर रोक नहीं लगाई है। भारत के सॉलिसिटर जनरल ने कहा है कि नए संशोधन अधिनियम के तहत परिषद या बोर्ड में कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में लिखा है कि सरकार अगली तारीख तक उन संपत्तियों (वक्फ-बाय-यूजर) को डी-नोटिफाई नहीं करेगी जो रजिस्टर्ड और गजटेड हैं। हालांकि, सरकार अन्य संपत्तियों पर कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून के खिलाफ दायर 70 से ज्यादा याचिकाओं की जगह सिर्फ 5 याचिकाएं ही दायर की जाएं। उन्हीं पर सुनवाई होगी। तब तक सरकार को तीन निर्देश मानने होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘110 से 120 फाइलें पढ़ना संभव नहीं हैं। ऐसे में ऐसे 5 पॉइंट तय करने होंगे। सिर्फ 5 मुख्य आपत्तियों पर ही सुनवाई होगी। सभी याचिकाकर्ता मुख्य बिंदुओं पर सहमति बनाएं। नोडल काउंसिल के जरिए इन आपत्तियों को तय करें।’
ओवैसी बोले- हम इस एक्ट को असंवैधानिक मानते हैं
अधिवक्ता बरुण सिन्हा ने आगे कहा कि केंद्र ने कोर्ट से कहा कि आप संसद की ओर से पारित कानून पर रोक नहीं लगा सकते और केंद्र रोजाना सुनवाई के लिए तैयार है। इस मुद्दे को अब 5 मई के लिए लिस्ट किया गया है और उसी दिन सुनवाई शुरू होगी। वहीं सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई पर एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने रिएक्ट किया। उन्होंने कहा कि हम इस एक्ट को असंवैधानिक मानते हैं।