Monday, May 12, 2025
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रिटायर्ड आला अफसर डबास की अरविंद केजरीवाल को इस चुनौती के मायने  

मध्यप्रदेश में पूरे धाकड़ अंदाज में सरकारी नौकरी करने वाले आला अधिकारियों की फेहरिस्त तैयार की जाए तो आजाद सिंह डबास का नाम  उसमें जरूर ही दिख जाएगा। क्योंकि धाकड़ से लेकर अकड़ तक के मामले में वो हमेशा से ही चर्चा  में रहे हैं. 

अब इन्हीं डबास ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ ताल ठोंक दी है. मामला अब दो ऐसे लोगों का है जो लगभग एक ही रास्ते से राजनीति में आए, लेकिन एक साथ चल नहीं पाए। उनके बीच राजनीतिक भाईचारा ख़त्म हो गया और उसकी जगह दुश्मनी पनप गई है

अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक ग्रह-नक्षत्र यूं ही ठीक नहीं चल रहे हैं। उस पर से धाकड़ मिज़ाज वाले आजाद सिंह डबास ने केजरीवाल के करप्शन उजागर करने का ऐलान कर दिया है। केजरीवाल इंडियन रेवेन्यू सर्विसेज से इस्तीफा देने के बाद राजनीति में आए। डबास इंडियन फारेस्ट सर्विसेज से रिटायर होने के बाद सियासत की तरफ़ मुड़े। फिर ये दोनों आपस में जुड़े। डबास इधर-उधर से गुजरते हुए एक दिन आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए। लेकिन अब उन्होंने इस दल को अपने दिल से निकाल दिया है। 

डबास ने तीन पेज का इस्तीफ़ा लिखा और उसमें कहा कि वो केजरीवाल के भ्रष्टाचार उजागर करेंगे। 

यूं तो केजरीवाल के लिए भ्रष्टाचार और अनाचार से जुड़े आरोप नई बात नहीं हैं। अपने कामकाज के खास अंदाज के चलते केजरीवाल राजनीतिक घटियापन के कई नए पैमाने स्थापित कर चुके हैं। लेकिन आजाद सिंह डबास का मामला केजरीवाल को काफी महंगा पड़ सकता है।

 डबास हरियाणा से हैं और जाट भी हैं। तो ये पोटेंट मिक्सचर उन्हें कुरुक्षेत्र के जुझारू योद्धा के रूप में स्थापित कर चुका है। 

मसलन, ग्वालियर में सीसीएफ रहते हुए डबास ने वहाँ चल रहे माइनिंग घोटाले की कम से कम साढ़े तीन सौ पेज की रिपोर्ट सीधे मुख्यमंत्री को भेज दी थी। इस जांच के लिए डबास को कोई आदेश नहीं मिले थे। लेकिन जब उन्होंने पाया कि ग्वालियर में वन विभाग के आला अफसर ही माइनिंग माफिया के पार्टनर बन गए हैं, तो उनसे रहा नहीं गया। 

कहा जाता है कि डबास ने सीएम को जो रिपोर्ट दी, उसमें इस गड़बड़झाले के कई सबूत भी थे। खैर, रिपोर्ट पर तो कोई एक्शन नहीं हुआ, लेकिन इसका रिएक्शन बहुत चौंकाने वाला रहा। क्योंकि डबास का यह खुलासा न जाने क्यों उस समय ग्वालियर के डीएफओ डॉक्टर दिलीप कुमार को चुभ गया। शायद यह दिलीप कुमार की निजी पीड़ा का मामला था, जिसमें उनके लिए निजी क्षति वाले आसार भी थे। तो साहब कुमार को इतना गुस्सा आया कि उन्होंने डबास को मानसिक इलाज कराने की सलाह दे दी। 

डबास भी चुप नहीं बैठे और उन्होंने रिटर्न गिफ्ट के अंदाज में दिलीप कुमार की सलाह उनको ही वापस थमा दी। जोरदार घमासान का नतीजा यह कि सरकार ने कुमार और डबास, दोनों को ही सस्पेंड कर दिया था। 

डबास का सस्पेंशन ख़त्म हुआ तो नया टेंशन सामने आ गया। उन्होंने आईएफएस ऑफिसर्स एसोसिएशन के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया। अब खुला नया रास्ता और रिटायरमेंट के बाद डबास कांग्रेस में  शामिल हो गए। लेकिन वहाँ उन्हें अपने मिज़ाज के मुताबिक पूछ-परख नहीं मिली। जंगल महकमे में शेर की तरह आजाद अंदाज में दहाड़ भरने वाले डबास को कांग्रेस का वह माहौल रास नहीं आया। वो वहां से निकले और उन्होंने आरटीआई यानी सूचना का अधिकार आंदोलन का झंडा थाम लिया। इसके लिए डबास के संगठन ‘सिस्टम परिवर्तन’ ने तब सनसनी मचा दी, जब डबास ने मध्यप्रदेश के तीन आईएएस अफसरों को सीधे टारगेट पर ले लिया। डबास ने मुख्य सचिव को खत लिखकर आईएएस बिरादरी के तीन चेहरों पर शिकन ला दी। डबास ने इन अफसरों पर आजीविका मिशन में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया। इस शिकायत का भी ख़ास असर नहीं हुआ। 

कहा तो यह तक  जाता है कि सरकारी नौकरी में रहते हुए डबास उस समय के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को चुनौती देने के मूड में भी आ गए थे.  संकेत थे कि डबास  शिवराज की उस समय की बुधनी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाह रहे थे. इसलिए उन्होंने उस समय अपनी नेमप्लेट में नाम के साथ ही  ‘मिशन-2023’ लिखना भी शुरू कर दिया था. 

राज्य में पिछला विधानसभा चुनाव साल 2023 में ही हुआ था. तब शिवराज लगातार चौथी बार इस सीट से जीते। कुल मिलाकर शिवराज यहां से पांच बार विधायक रहे हैं. 

विधानसभा का चुनाव जीतने के बाद   भारतीय जनता  पार्टी ने साल 2024 के विधानसभा चुनाव में विदिशा से उतारा। विदिशा में धमाकेदार जीत के बाद शिवराज ने बुधनी सीट छोड़ दी. 

फिर डबास आम आदमी पार्टी में आ गए और आगे क्या हुआ, यह तो हम शुरू में बता ही चुके हैं।  

अब सवाल यह कि क्या वाकई डबास के पिटारे में कुछ ऐसा है, जो अरविंद केजरीवाल को डंक मार सकता है? आम आदमी पार्टी छोड़ने वाले हर नेता ने इस सियासी महाभारत में केजरीवाल का चीरहरण करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। योगेंद्र यादव से लेकर कुमार विश्वास और कपिल मिश्रा ‘आप के बाप’  यानी केजरीवाल को ‘आप तो ऐसे न थे’ वाले अंदाज में कोसते चले आ रहे हैं। तो क्या आजाद सिंह डबास के पास केजरीवाल की ऐसी कुंडली भी है, जो दिल्ली के पूर्व सीएम को अभूतपूर्व रूप से नए संकट में डाल सकती है? इसका जवाब समय ही देगा। 

(लोकदेश के लिए रत्नाकर त्रिपाठी की रिपोर्ट)