
‘कई बार दावा किया जाता है कि आतंकवादी का कोई मजहब नहीं होता। यदि ऐसा है तो किसी आतंकी के मरने के बाद नमाज क्यों पढ़ी जाती है और उसे कब्र में क्यों दफनाया जाता है?’
पहलगाम में आतंकवादी हमले में धर्म पूछकर 26 गैर-मुस्लिमों के नरसंहार के बाद यह सवाल पूछा है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ पदाधिकारी इंद्रेश कुमार ने.
कुमार जम्मू में मीडिया से बात कर रहे थे.
कुमार के मुताबिक़, ‘ यह कहा जाता है कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता और उन्हें धर्म से जोड़ना गलत है। लेकिन जब आतंकवादियों के लिए नमाज अदा की जाती है, कब्र दी जाती है या जनाजे में शिरकत की जाती है, तो यह संकेत देता है कि वे किसी धर्म के प्रतिनिधि हैं, जो पूरी तरह गलत है।’’
उन्होंने कहा कि खुद मुसलमानों को किसी आतंकवादी के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होना चाहिए और न ही उन्हें दफन करने की अनुमति देना चाहिए।
कुमार ने कहा कि अगर 20–30 साल पहले यह कठोर निर्णय लिया गया होता तो जम्मू-कश्मीर की स्थिति कुछ और होती।
उन्होंने पहलगाम में एक स्मारक बनाने का प्रस्ताव दिया, जिससे पाकिस्तान की बर्बरता को उजागर किया जा सके। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अब टूटने की कगार पर है और सिंध, बलूचिस्तान, पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर समेत कई हिस्से आज़ादी मांग रहे हैं। उन्होंने भारतीय मुसलमानों से वोट बैंक की राजनीति को त्यागने और देशहित में सोचने का आह्वान किया।
प्रधानमंत्री को गाली सहन नहीं
संघ नेता ने कांग्रेस के गायब पोस्ट पर भी हमला किया। कांग्रेस ने आतंकी हमले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाते हुए एक पोस्ट पर भी हमला किया। जवाबः में इंद्रेश कुमार ने कहा, ‘कांग्रेस नेताओं को खाना तभी पचता है जब वे प्रधानमंत्री को गाली दें। वे (कांग्रेस) सैन्य प्रमुख का विरोध करेंगे अगर युद्ध होगा। वे समाज में अच्छे काम नहीं करेंगे, लेकिन अच्छे काम करने वालों को बदनाम करेंगे। यह उनकी राजनीतिक शैली है, जो बहुत निंदनीय है।’
(लोकदेश डेस्क/एजेंसी। जम्मू)