
मनीष रंजन ने जब पहलगाम जाने का कार्यक्रम तय किया, तब उन्होंने अपने बुजुर्ग माता-पिता से यह भी कहा था कि लौटने के बाद वो उन्हें वैष्णो देवी की यात्रा पर लेकर जाएंगे। हालांकि ऐसा अब नहीं होगा। क्योंकि आईबी के अफसर रहे मनीष रंजन उन 28 गैर-मुस्लिमों में से एक थे, जिनकी आतंकवादियों ने पहलगाम में जान ले ली.
मनीष रंजन के दोस्त संजीव गुप्ता ने न्यूज एजेंसी को यह बात बताई।
रंजन के पिता हाल ही में झालदा स्थित हिंदी हाई स्कूल के प्रधानाध्यापक की पोस्ट से रिटायर्ड हैं। रंजन हैदराबाद में आईबी के ‘सेक्शन ऑफिसर’ के पद पर तैनात थे।
रंजन के पार्थिव शरीर को पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के झालदा स्थित उनके पैतृक स्थान ले जाने के लिए रांची हवाई अड्डे पर आए उनके एक अन्य मित्र आदित्य शर्मा ने कहा, ‘‘हमने कभी नहीं सोचा था कि ऐसी घटना घटेगी। लोग कहते हैं कि आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता, लेकिन निर्दोष लोगों को उनके धर्म के कारण बेरहमी से मार दिया गया’’।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की झारखंड इकाई के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी समेत अन्य नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों ने हवाई अड्डे पर रंजन को श्रद्धांजलि दी।
मरांडी ने कहा कि धर्म के आधार पर निर्दोष लोगों की हत्या करना क्षमा योग्य नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाएगी। हमले के मुख्य साजिशकर्ताओं को भी नहीं बख्शा जाएगा।’’
लोकदेश डेस्क/एजेंसी। रांची