
केंद्र सरकार ने आगामी जनगणना में जाति गणना को भी शामिल करने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति ने इस संबंध में फैसला लिया है।
मोदी सरकार का यह फैसला कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए ‘हाथ से मुद्दा सरकने’ जैसा मामला हो सकता है, क्योंकि गांधी बीते लंबे समय से जातिगत जनगणना की मांग कर रहे थे.
अब यह फैसला लेने के साथ ही भाजपा ने कांग्रेस पर हमले भी शुरू कर दिए हैं. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि आज जातिगत जनगणना की बात करने वाली कांग्रेस ने ही किसी समय इस मांग का विरोध किया था.
बुधवार को नई दिल्ली में मीडिया को इस फैसले की जानकारी देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि आगामी जनगणना में जाति गणना को शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जनगणना संघ का विषय है।
उन्होंने यह भी कहा कि कुछ राज्यों ने जाति सर्वेक्षण अच्छे तरीके से किया है, जबकि कुछ ने राजनीतिक कारणों से ऐसा किया है। उन्होंने कहा कि ऐसे सर्वेक्षणों ने समाज में संदेह पैदा किया है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि राजनीति से हमारा सामाजिक ताना-बाना खराब न हो, सर्वेक्षण के बजाय जाति गणना को जनगणना में शामिल किया जाना चाहिए।
कांग्रेस को लिया निशाने पर
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकारों ने आज तक जाति जनगणना का विरोध किया। उन्होंने कहा कि 2010 में दिवंगत डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा था कि जाति जनगणना के मामले पर कैबिनेट में विचार किया जाना चाहिए। इस विषय पर विचार करने के लिए मंत्रियों का एक समूह बनाया गया था। अधिकांश राजनीतिक दलों ने जाति जनगणना की सिफारिश की है। इसके बावजूद, कांग्रेस सरकार ने इस पर राजनीति करने के अलावा और कुछ नहीं किया।
वैष्णव के अनुसार यह अच्छी तरह से समझा जा सकता है कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने जाति जनगणना को केवल एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है।
(लोकदेश डेस्क/एजेंसी। नई दिल्ली)