Friday, April 25, 2025
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आतंकी सोच भी नहीं सकते, उन्हें वो सजा देकर मिट्टी में मिला दूंगा- गरजे मोदी

मधुबनी। प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को भारत की आत्मा पर हमला बताया और देश की 140 करोड़ आबादी की इच्छाशक्ति के संबल से दहाड़ते हुए आज कहा कि अब आतंकवादियों को मिट्टी में मिलाने का समय आ गया है और आतंकियों एवं साजिशकर्ताओं को ऐसी सजा मिलेगी जो उनकी कल्पना से भी बड़ी होगी।
मोदी  ने गुरुवार को यहां झंझारपुर के लोहना पंचायत में पंचायती राज स्थापना दिवस पर आयोजित सभा में 13,480 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का शिलान्यास एवं उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में कहा, “यह हमला सिर्फ निहत्थे पर्यटकों पर नहीं हुआ है। देश के दुश्मनों ने भारत की आत्मा पर हमला करने का दुस्साहस किया है।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं बहुत स्पष्ट शब्दों में कहना चाहता हूं कि जिन्होंने यह हमला किया है उन आतंकियों को और इस हमले की साजिश रचने वालों को उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी। अब आतंकियों की बची खुची जमीन को भी मिट्टी में मिलाने का समय आ गया है। 140 करोड़ भारतीयों की इच्छाशक्ति अब आतंक के आकाओं की कमर तोड़कर रहेगी।” 
मोदी ने बिहार की धरती से आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता को दोहराते हुए पूरी दुनिया को एक सशक्त संदेश दिया और स्पष्ट शब्दों में कहा, “भारत हर उस आतंकवादी और उसके संरक्षक को पहचानेगा, ढूंढेगा और सजा देगा, जो देश की शांति और सुरक्षा को चुनौती देता है। भारत आतंकवादियों को धरती के अंतिम कोने तक खदेड़ेगा और न्याय सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करेगा।”
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि आतंकवाद से भारत की आत्मा कभी नहीं टूटेगी और आतंकियों को उचित दंड मिलेगा। उन्होंने कहा, “मानवता में विश्वास रखने वाला हर व्यक्ति हमारे साथ है। मैं विभिन्न देशों की जनता और नेताओं का आभार व्यक्त करता हूं, जो इस मुश्किल घड़ी में हमारे साथ खड़े हैं।”
मोदी ने कहा कि 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने मासूम देशवासियों को जिस बेरहमी से मारा है उससे पूरा देश व्यथित है। कोटि-कोटि देशवासी दुखी हैं। सभी पीड़ित परिवारों के इस दुख में पूरा देश उनके साथ खड़ा है। जिन परिवार के लोगों का अभी इलाज चल रहा है वे जल्द स्वस्थ्य हों इसके लिए भी सरकार हर प्रयास कर रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “इस आतंकी हमले में किसी ने अपना बेटा खोया, किसी ने अपना भाई खोया और किसी ने अपना जीवनसाथी खोया है। उनमें से कोई बंगला बोलता था, कोई कन्नड़ बोलता था, कोई मराठी था, कोई ओड़िया था, कोई गुजराती था और कोई बिहार का लाल था। आज उन सभी की मृत्यु पर करगिल से कन्याकुमारी तक हमारा दुख एक जैसा है। हमारा आक्रोश एक जैसा है।”