
बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन ने आख़िरकार अपनी चुप्पी तोड़ते हुए पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर के लिए भारतीय सेना की प्रशंसा की है.
बच्चन ने पोस्ट में सबसे पहले पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए नरसंहार का जिक्र किया। उन्होंने हमले में पति को खोने वाली महिला के लिए लिखा,’वह महिला अपने पति को बचाने के लिए गिड़गिड़ाती रही, लेकिन आतंकवादी ने क्रूरता से उसके पति को गोली मार दी’
आगे कुछ और बातों के बाद बच्चन ने लिखा है, ‘उस बेटी की मनोदशा को सोचते हुए, मुझे पूज्य बाबूजी की कविता की एक पंक्ति याद आई: जैसे वह बेटी ”…” के पास गई और बोली: ”मेरे हाथों में चिता की राख है, फिर भी दुनिया मुझसे सिंदूर मांगती है.” और ”…” ने उसे सिंदूर दिया!!! ऑपरेशन सिंदूर!!! जय हिंद, जय हिंद की सेना. तुम कभी नहीं रुकोगे; तुम कभी पीछे नहीं हटोगे; तुम कभी नहीं झुकोगे. शपथ लो, शपथ लो, शपथ लो! अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!!!”
अमिताभ की यह पोस्ट खालिस रूप से ‘अंगड़ाई लेते हुए नींद खुलने’ वाली मुद्रा में सामने आई है. क्योंकि बहुत बड़े पैमाने पर इस बात को लेकर सवाल उठ रहे थे कि पहलगाम से लेकर ऑपरेशन सिंदूर तक अमिताभ चुप क्यों हैं?
इसीलिए काफी देर से की गयी इस पोस्ट के लिए भी अमिताभ को जमकर ट्रोल किया जा रहा है.
अमिताभ बच्चन उन दुर्लभ लोगों में शामिल हैं, जो अपने स्टार करियर की ढलान के समय से कई बार ऐसे विवादों के वजह बनते चले आ रहे हैं.
खासतौर से यह तथ्य सामने आया है कि अमिताभ विशुद्ध रूप से मनी माइंडेड हो गए हैं.
दो हजार के दशक की शुरुआत में तब सनसनी फ़ैल गई थी, जब एक मशहूर ब्रांड की चॉकलेट में फफूंद मिलने की बात सामने आई
जिस समय स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी ऐसे चॉकलेट के सेवन से मानव शरीर पर होने वाले खतरनाक असर गिना रहे थे, तब अमिताभ ने उसी चॉकलेट को क्लीन चिट देने के अंदाज में उसके कॉमर्शियल एड में काम किया।
साल दो हजार पांच के आसपास सेंसर बोर्ड ने एक बड़ी पहल की. उसने फिल्मों में धूम्रपान के दृश्यो के विरोध में राय दी. उसके बाद साल 2006 में अमिताभ को राजकुमार संतोषी के निर्देशन वाली फिल्म ‘फैमिली’ में मुख्य भूमिका में देखा गया. फिल्म का शायद ही कोई ऐसा दृश्य था, जिसमें अमिताभ सिगार का धुंआ उड़ाते हुए न दिखे हों. इन दृश्यों को ‘सेंसर बोर्ड के खिलाफ बच्चन के खालिस प्रोफेशनल इस्तेमाल’ के रूप में ही देखा गया था.
बहुचर्चित पनामा घोटाले में नाम आने के बाद भी अमिताभ के प्रशंसकों को गहरा धक्का पहुंचा था.
किसी समय अमिताभ के परिवार के सबसे बड़े मददगार साबित हुए राजनीतिज्ञ अमर सिंह ने भी अपने बुरे दिनों में कहा था कि बच्चन परिवार ने उस समय उनका साथ छोड़ दिया था.
हालाँकि ऐसे आरोपों पर अमिताभ ने कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करने से परहेज ही किया है. इसलिए इस बात की संभावना भी कम ही है कि बच्चन पहलगाम से लेकर ऑपरेशन सिंदूर को लेकर ‘सुस्त चाल वाली प्रतिक्रिया’ के कारण के बारे में कोई बात करें।
हो सकता है कि इस सबके पीछे कोई अज्ञात मजबूरी हो. अमिताभ की एक चर्चित फिल्म मजबूर भी थी. उसके गीत के अंतरे से बात ख़त्म की जा सकती है. अन्तरे में कहा गया था, ‘आदमी जो लेता है, आदमी जो देता है, रास्ते में वो दुआएं पीछा करती हैं’
(लोकदेश के लिए रत्नाकर त्रिपाठी की रिपोर्ट)