चीन की सरहद से होकर तिब्बत में दुर्गम स्थान पर बने हिंदुओं की आस्था के बहुत बड़े केंद्र कैलाश मानसरोवर की यात्रा फिर शुरू होने जा रही है. यह यात्रा आने वाली 30 जून से शुरू होकर अगस्त तक चलेगी।
विदेश मंत्रालय ने यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू कर दिए हैं.
कैलाश मानसरोवर की यात्रा जितनी रोमांचक है, उसमें उतना ही अधिक जोखिम भी है. यात्रियों को मौसम के भीषण तेवर के बीच प्राकृतिक आपदाओं का खतरा भी सहन करना होता है
मौत से पहले लिखा था- अब स्वर्ग देख लिया
देश की प्रसिद्ध नृत्यांगना प्रोतिमा बेदी का उदाहरण इस यात्रा के एक बड़े जोखिम को समझने में मददगार हो सकता है.
साल 1998 में प्रोतिमा बेदी कुछ लोगों के एक दल के साथ कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर रवाना हुई थीं. ये उस समय की बात है, जब इंटरनेट या मोबाइल फोन नहीं हुआ करते थे.
बेदी यात्रा के रास्ते में दिखे प्राकृतिक सौंदर्य से अभिभूत हो गईं. रास्ते से ही उन्होंने परिवार के लोगों को एक चिट्ठी भेजी। इसमें बेदी ने जो कहा, उसका सारांश यह था कि उन्हें सचमुच का स्वर्ग मिल गया है और अब यदि जीवन न रहे, तब भी उन्हें कोई अफसोस नहीं होगा।
अफ़सोस यह कि इसी यात्रा के बीच उत्तराखंड में पिथौरागढ़ के पास मालपा में भूस्खलन हो गया. बेदी और उनके साथ के सात लोग जिस टेंट में सो रहे थे, काफी बड़ा पहाड़ उसके ऊपर आ गिरा।
इस हादसे में प्रोतिमा सहित सभी सात लोगों की मौत हो गई. उनके शव तक नहीं मिल सके. कई साल बाद सभी के अवशेष बरामद हुए.
प्रोतिमा बेदी हॉलीवुड और बॉलीवुड के मशहूर चेहरे कबीर बेदी की पत्नी थीं. उनकी बेटी पूजा बेदी भी ग्लैमर जगत के चर्चित चेहरों में शुमार की जाती हैं.
(लोकदेश डेस्क के लिए रत्नाकर त्रिपाठी की रिपोर्ट)
