
पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा बेक़सूर लोगों की जान लेने के बाद जहां देश में पाकिस्तान के खिलाफ हर तरह के सख्त कदम उठाने की मांग की जा रही है, वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख, सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी पड़ोसी दुश्मन देश को सबक सिखाने की वकालत कर दी है.
शनिवार को भागवत ने दिल्ली में जो कहा, उसके अर्थ साफ़ थे और यह भी साफ़ कि संघ इस आतंकी हमले को लेकर केंद्र सरकार से ‘पुरजोर अंदाज में बदला’ लेने की अपेक्षा रख रहा है.
भागवत ने कहा कि भारतीय संस्कृति में शत्रु का वध भी उसकी कल्याण की कामना के साथ अंतिम उपाय के रूप में किया जाता है क्योंकि राजा का कर्तव्य प्रजा की रक्षा करना है और राजा को यह कर्तव्य अवश्य निभाना चाहिए।
उन्होंने कहा ‘हमारा विचार अहिंसक बनाने का है। रावण को मारना भी अहिंसा ही है, क्योंकि कुछ भी कर लो वो नहीं सुधरेगा। रावण का वध, रावण के कल्याण हेतु था। हम शत्रु को देखें तो यह देखें कि वह खराब है या अच्छा है। भगवान ने बताया कि आतताइयों को मारना हमारा धर्म है। गीता में बताया कि अर्जुन का कर्तव्य है कि वो लड़े और मारे। जिनका कोई इलाज नहीं है। अंतिम उपाय के रूप में उनको हम कल्याण के लिए भेज देते हैं ताकि वह नये शरीर, नये मन, नयी बुद्धि के साथ वापस आये।’
डॉ. भागवत ने कहा, “अहिंसा हमारा स्वभाव है, हमारा मूल्य है… लेकिन कुछ लोग नहीं बदलेंगे, चाहे कुछ भी करो, वे दुनिया को परेशान करते रहेंगे, तो इसका क्या करें?.. अहिंसा हमारा धर्म है और गुंडों को सबक सिखाना भी हमारा धर्म है… हम अपने पड़ोसियों का कभी अपमान या नुकसान नहीं करते लेकिन फिर भी अगर कोई बुराई पर उतर आए तो दूसरा विकल्प क्या है? राजा का कर्तव्य प्रजा की रक्षा करना है, राजा को अपना कर्तव्य निभाना चाहिए।”
डॉ. भागवत ने कहा कि विश्व आज दो रास्तों पर चल रहा है। लेकिन आज विश्व का तीसरे रास्ते की आवश्यकता है। दुनिया भर के चिंतकों को यह सोचना होगा। उन्होंने कहा कि कुछ सदियों में कई प्रयोग हुए हैं लेकिन सफलता नहीं मिली। सुविधा, सुख बढ़े लेकिन समाधान नहीं निकला। भूमि अशुद्ध हो गयी। विकास हुआ। विश्व के पीछे जड़ता है चैतन्यता नहीं। दुनिया ने दाेनों प्रकार के पर्याय देखे हैं। तीसरा पर्याय केवल भारत में है।
(लोकदेश डेस्क/एजेंसी। नई दिल्ली)