Friday, April 25, 2025
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पाक सेना प्रमुख चाहते भारत के साथ बढ़े टेंशन… पहलगाम हमले के पीछे बड़ी साजिश,चीन का मौन समर्थन?


इंस्लामाबाद। पहलगाम आतंकी हमले के एक दिन बाद पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने दावा किया कि इसमें पाकिस्तान का कोई हाथ नहीं है। लेकिन भारतीय अधिकारियों को पाकिस्तान के रक्षा मंत्री की बातों पर यकीन नहीं है। इस आतंकी हमले में 28 पर्यटक मारे गये हैं और भारत सरकार पर एक्शन लेने का भारी प्रेशर है।
पहलगाम आतंकी हमले को लेकर भारतीयों के मन में भारी गुस्सा है। ये आतंकी घटना तब हुई है, जब पिछले हफ्ते ही पाकिस्तान के आर्मी चीफ असीम मुनीर ने भारत और कश्मीर के खिलाफ जहर उगला था। उन्होंने कश्मीर को पाकिस्तान के लिए ‘गले का नस’ बताया था। मुंबई 26/11 हमले के बाद देश के आम नागरिकों पर किए गये सबसे बड़े आतंकी हमलों में से एक है।

पहलगाम हमले पर पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक पाकिस्तानी टीवी चैनल से कहा कि “हमारा इससे कोई लेना-देना नहीं है। हम हर तरह के आतंकवाद को खारिज करते हैं।” इसके अलावा पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि “हम अनंतनाग जिले में हुए हमले में पर्यटकों की जान जाने से चिंतित हैं… हम मृतकों के परिजनों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं।” लेकिन हैरानी की बात ये है कि पाकिस्तान के बयान में चिंता थी, लेकिन निंदा नहीं। पाकिस्तान के बयान में ‘आतंकवादी’ शब्द शामिल नहीं था।

असीम मुनीर की बहुत खतरनाक साजिश
बहुत संभावना है कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़े। प्रधानमंत्री मोदी ने सुरक्षा को लेकर बैठक की है, जिसमें तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने भाग लिया है। लिहाजा एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तान के आर्मी चीफ असीम मुनीर बहुत खतरनाक चाल चल रहा है। दिल्ली डिफेंस के डायरेक्टर सौरभ झा भी इसी बात से इत्तेफाक रखते हैं। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा है कि “पाकिस्तानी सेना को संकट की जरूरत है क्योंकि उसके ऊपर बहुत गंभीर आंतरिक दबाव में है।
चीन को तनाव से क्या फायदा?
वहीं सौरभ झा चीन को लेकर बहुत महत्वपूर्ण बात का जिक्र कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि “चीन के लिए भी यह बिल्कुल सही समय है। संकट को बढ़ाने और भारत के निवेश जोखिम प्रोफाइल को बढ़ाने के लिए इससे बेहतर समय और क्या हो सकता है, जब वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं चीन से दूर जा रही हैं और भारत को एक वास्तविक दावेदार के रूप में देखा जा रहा है।” उन्होंने लिखा है कि ‘चीन और पाकिस्तान, दोनों ये जानते हैं कि भारत की प्रकृति जवाब नहीं देने की रही है। ऐसे में वो जानते हैं कि ये दोनों पक्षों के लिए जीत वाली स्थिति होगी।