
मुंबई। एकता आर कपूर ने इंडस्ट्री में अपने 30 साल पूरे कर लिए हैं और यह बात साफ है कि भारतीय एंटरटेनमेंट पर उनका असर बेमिसाल रहा है। टीवी हो, फिल्में हों या फिर ओटीटी, एकता ने हर दौर में ट्रेंड सेट किया है और दर्शकों की पसंद को नई दिशा दी है। साल 2025 में एकता के शोबिज़ में कदम रखने के 30 साल पूरे हो रहे हैं। यह सफर सिर्फ कामयाबी का नहीं, बल्कि दूरदर्शिता, जज़्बे और लगातार खुद को रेनवेंट करने का भी है।

उन्होंने न सिर्फ कंटेंट बनाया है, बल्कि उस कंटेंट को ऐसा रंग दिया है कि वो लोगों के दिलों-दिमाग पर छा गए हैं। 90 के दशक के मिड में जब इंडियन टेलीविजऩ अपना नया रूप खोज रहा था—दूरदर्शन के दौर से बाहर निकलकर कुछ नया, कुछ बड़ा बनने की कोशिश कर रहा था—तभी एक यंग और पैशनेट एकता कपूर ने एंट्री ली। उस वक्त शांति, स्वाभिमान और तारा जैसे शोज़ ने शुरुआत ज़रूर की थी, लेकिन टीवी में वो मास अपील अभी बाकी थी। एकता ने दर्शकों की नब्ज़ को पहचानते हुए ऐसे इमोशनली चाज्र्ड, हाई-वोल्टेज ड्रामा पेश किए, जिनसे हर घर टीवी से जुड़ गया। घर एक मंदिर और कोरा कागज़ जैसे शोज़ ने नींव रखी, लेकिन असली गेमचेंजर रहे क्योंकि सास भी कभी बहू थी, कहानी घर घर की और कसौटी ज़िंदगी की, जिन्होंने इंडियन टेलीविजऩ को नई पहचान दी और इतिहास रच दिया।
सालों तक प्राइमटाइम टेलीविजऩ पर मेल-सेंट्रिक कहानियों का दबदबा रहा करता था, लेकिन एकता कपूर ने इस सोच को पूरी तरह पलट दिया। उन्होंने ऐसे महिला किरदार गढ़े, जैसे तुलसी, पार्वती, प्रेरणा जो सिर्फ नाम नहीं बने, बल्कि हर घर का हिस्सा बन गए। ये किरदार महज़ स्क्रिप्ट के पात्र नहीं थे, बल्कि ताकत, हौसले और परिवार से जुड़े रिश्तों की मिसाल बन गए। एकता की वूमन-फस्र्ट अप्रोच ने न सिर्फ कई एक्ट्रेसेज़ के करियर को नई उड़ान दी, बल्कि ये भी साबित कर दिया कि टीवी की हिरोइनों को भी वही सम्मान और मेहनताना मिलना चाहिए, जो हीरो को मिलता है, जो आज भी बॉलीवुड पूरी तरह नहीं कर पाया है।