
#lokdesh Report
दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (BJP) संगठनात्मक बदलाव की दिशा में एक बड़ा कदम उठाने जा रही है।पार्टी अब ‘एक देश, एक चुनाव’ की तर्ज पर ‘एक पार्टी, एक चुनाव’ के सिद्धांत को अपनाने की तैयारी में है।इसके तहत भाजपा मंडल, जिला, प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर तक संगठनात्मक चुनाव एक साथ कराने पर सहमति बना रही है।
इस योजना के पीछे मुख्य उद्देश्य संगठनात्मक कार्यों में समानता लाना और नेतृत्व परिवर्तन की प्रक्रिया को व्यवस्थित बनाना है।26 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में संगठनात्मक चुनाव लंबितसूत्रों के अनुसार बीते तीन दिनों में पार्टी के शीर्ष नेताओं के बीच हुई बैठकों में यह फैसला लिया गया।
इसमें संगठनात्मक चुनाव और राष्ट्रीय मुद्दों पर पार्टी की रणनीति और केंद्र सरकार की योजनाओं को आगे बढ़ाने पर विस्तार से चर्चा की गई।भाजपा के 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में संगठनात्मक चुनाव लंबित हैं।पार्टी नेतृत्व ने सभी प्रदेश इकाइयों को निर्देश दिया है कि एक सप्ताह के भीतर चुनाव प्रक्रिया पूरी कर प्रदेशाध्यक्ष के नाम की घोषणा करें।
पार्टी की योजना के अनुसार सभी प्रदेशाध्यक्षों का कार्यकाल एक साथ शुरू किया जाएगा।इससे न सिर्फ सभी राज्यों में संगठनात्मक गतिविधियां एक जैसी चलेंगी, बल्कि आगामी तीन वर्षों के लिए नेतृत्व को स्थायित्व भी मिलेगा।पार्टी सूत्रों का कहना है कि जब प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव पूरा हो जाएगा, तब सात दिनों के भीतर राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की तारीख की घोषणा कर दी जाएगी।
बैठकों के दौरान यह प्रस्ताव भी सामने आया कि संगठनात्मक पदों पर बैठे अध्यक्षों का कार्यकाल तीन की बजाय पांच साल कर दिया जाए।वर्तमान व्यवस्था के अनुसार भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष सहित सभी स्तरों के अध्यक्षों का कार्यकाल तीन सालों का होता है, जिसे अधिकतम एक बार बढ़ाया जा सकता है। लेकिन यह देखा गया है कि लोकसभा चुनावों से ठीक पहले कई अध्यक्षों का कार्यकाल समाप्त हो जाता है, जिससे असमंजस की स्थिति बनती है।
यदि कार्यकाल पांच साल का होगा तो यह लोकसभा चुनाव की रणनीति और संगठन की स्थिरता में मदद करेगा, हालांकि इस पर अंतिम निर्णय पार्टी का संसदीय बोर्ड लेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वो विजन, जिसमें उन्होंने राजनीति में 1.25 लाख गैर-राजनीतिक युवाओं को लाने की बात कही थी, पार्टी अब इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है।बीजेपी की योजना है कि मंडल, जिला, प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे दो युवाओं को टीम में शामिल किया जाए, जिनकी कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि न हो।इससे करीब 500 युवाओं को भाजपा की संगठनात्मक टीम में जगह मिलेगी।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो भाजपा का यह कदम संगठनात्मक मजबूती और नेतृत्व की स्पष्टता की दिशा में एक बड़ा परिवर्तन हो सकता है और इससे पार्टी को कई चुनावों से पहले रणनीति तय करने में मदद मिलेगी