Monday, June 9, 2025
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सोशल मीडिया से

शर्मिष्ठा की किताब का शीर्षक होगा ‘माय इयर्स इन ए  नॉन-इंडियन प्रिजन’ !

मैरी टेलर बरसों पहले इंग्लैंड से भारत आई थीं। यहां पश्चिम बंगाल में उन्हें जेल में डाल दिया गया। हालाँकि उन पर नक्सलियों से संबंध...

जूतों का क्या है! बात तो कार्टून छपने के इंतजार की है

ये नाहक ही चिल्लपों किसलिए? भूलना तो मानवीय स्वभाव की बेहद सहज प्रक्रिया है। अब राहुल गांधी भोपाल में अपनी दिवंगत दादी को नमन करते...

‘लेकिन’ कोई आए तो उस ’99’ को पार करते हुए

है तो पागलपन ही। लेकिन ये न कहूं, तो मुझे आज की तरह ही हरेक रात की नींद हराम होने का श्राप मिले। 'लेकिन'...

चुनाव हो जाने दीजिए, ‘रुप्पन यादव’ बाइज्जत घर लौट आएंगे 

यह अरबों रुपए के चारा घोटाले का अदालती निर्णय आने से काफी पहले की बात है। तब तेजी से आगे बढ़ रहे एक हिंदी...

क्योंकि मैं जलन में डूबा हुआ हूँ

लगभग पैंतीस साल हो गए हैं इस बात को। उन सज्जन का नाम नहीं पता। 'सरिता' में उन्होंने एक आलेख लिखा ही नहीं, बल्कि रचा...

एक कुंवर जी और दीवार से टिके दो माथे 

Ratnakar Tripathi 'कुंवर जी! ये क्या कर दिया आपने...! उफ़! हरसूद तो डूबते-डूबते काफी-कुछ बच गया, लेकिन लोग कह रहे कि आप डूब...' 'ये क्या...

उम्मीद की चादर नहीं, कम से कम कफ़न का इंतजाम तो हो ही गया 

देर रात का समय। हर ओर अँधेरा है। मुझे नींद नहीं आ रही। सोचता हूं कि कैफ़ी आज़मी बन जाऊं। बोलूं, 'आज की रात...

कट्टरपंथी से अधूरी नाराजी, तो क्या बोल सकेगा शहर काजी? 

तेजभान पाल  ये बहुत कुछ वैसा ही है, जैसे कि एक नेताजी कभी भाषण दे रहे थे। उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण पर अपनी बात रखी। छोटे...

बंद हो चुकी सारिका से सबक लेकर आँख खोलिए और सच्ची तारिका बनिए 

सुनील त्रिवेदी  ==================================================यह तब की बात है, जब कागजों पर सिमटा-सकुचा साहित्य भी  किसी तरह हांफ-हांफ कर ही आगे बढ़ रहा था. दुर्भाग्य से मैं...

उनकी तिजोरी से भी छोटे हैं आपके-हमारे शौचालय

उस घर के बाहर भीड़ खड़ी रहती थी और सब निहारते रहते थे उस व्यक्ति को जो हाथ में लाल और नीले रंग के...