
सोशल मीडिया में चल रही खबरें झूठी और भ्रामक
नई दिल्ली। पिछले वित्तवर्ष में यूपीआई ट्रांजेक्शन रिकॉर्ड 260.56 लाख करोड़ रुपये पहुंचने के उत्साहजनक खबरों के बीच लोगों को जैसे ही पता चला कि सरकार 2,000 रुपये से ज्यादा के यूपीआई ट्रांजेक्शन पर जीएसटी वसूलने की तैयारी कर रही है, सब निराश हो गए। सोशल मीडिया पर इसे लेकर यूजर्स की नाराजगी साफ दिखने लगी। बात इतनी बढ़ गई कि वित्त मंत्रालय को खुद आकर पूरी बात बतानी पड़ी।वित्त मंत्रालय ने स्पष्टीकरण जारी कर बताया कि 2,000 रुपये से ज्यादा के यूपीआई लेनदेन पर जीएसटी लगाने की सरकार की कोई मंशा नहीं है।
सोशल मीडिया में चल रही इस तरह की खबरें पूरी तरह झूठी, भ्रामक और बिना किसी आधार के वायरल हो रही हैं। साफ कर दिया है कि यूपीआई पर किसी भी तरह का जीएसटी नहीं वसूला जा रहा है। वित्त मंत्रालय ने आगे कहा कि कुछ उपकरणों के जरिये भुगतान जैसे क्रेडिट कार्ड आदि पर लगने वाले मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) पर ही जीएसटी लगाया जाता है। वित्त मंत्रालय ने बताया कि जनवरी 2020 से केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने व्यक्ति-से-व्यापारी यूपीआई लेनदेन पर एमडीआर हटा दिया है. चूंकि, वर्तमान में यूपीआई लेनदेन पर कोई एमडीआर नहीं लगाया जाता है, लिहाजा इस तरह के लेनदेन पर कोई जीएसटी लागू नहीं होता है। मंत्रालय ने अपने स्पष्टीकरण में बताया है कि यूपीआई के विकास को समर्थन बनाए रखने के लिए वित्तीय वर्ष 2021-22 से एक प्रोत्साहन योजना चालू है. यह योजना विशेष रूप से कम-मूल्य वाले यूपीआई लेनदेन को प्रोत्साहित करती है, ताकि छोटे व्यापारियों को लेनदेन की लागत में राहत मिल सके और डिजिटल भुगतान में व्यापक भागीदारी बढ़ाई जा सके।