
नई दिल्ली। घर बैठे मोबाइल पर आवश्यक वस्तुओं की खरीद किसी क्षेत्र विशेष तक सीमित नहीं रह गया है। खाने-पीने, पहनने और मनोरंजन की वस्तुओं से लेकर अब लगभग हर क्षेत्र की वस्तुएं-सेवाएं आनलाइन माध्यम से लोगों को सहज उपलब्ध हैं। इससे लोगों को काफी सहूलियत भी हुई है। लेकिन इससे देश में 11 करोड़ से अधिक परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराने वाले खुदरा बाजार की दुकानदारी नष्ट हो गई है। इसका परिणाम हुआ है कि देश के हर हिस्से में खुदरा दुकानें बंद हो रही हैं और मॉल और बड़ी दुकानों को किराए पर कोई लेने वाला नहीं मिल रहा है।
अमेरिका के टैरिफ वॉर के बीच बाजार के विशेषज्ञ मानते हैं कि आॅनलाइन बाजार भारत जैसी अर्थव्यवस्था वाले देशों के खिलाफ एक सुनियोजित षड्यंत्र है। भारत को अपनी 140 करोड़ की आबादी के लिए रोजगार की व्यवस्था करनी सबसे बड़ी चुनौती है, लेकिन आॅनलाइन बाजार लोगों के रोजगार छीन रहा है। केंद्र सरकार प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के अंतर्गत लोगों को कर्ज देकर उन्हें अपना रोजगार विकसित करने के लिए कर्ज दे रहे हैं, लेकिन आन लाइन बाजार ऐसे लोगों से उनका उपभोक्ता छीन रहा है। यही कारण है कि अर्थव्यवस्था के जानकार केंद्र सरकार से ई-कॉमर्स क्षेत्र की कंपनियों के खिलाफ एक सुनियोजित नीतिगत हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं।
ई कॉमर्स कंपनियों पर आरोप
खुदरा व्यापार संगठनों का आरोप है कि ई कॉमर्स कंपनियां एक साजिश हैं। खुदरा व्यापारी को कोई वस्तु जिस मूल्य पर मिलती है, आनलाइन कंपनियां एक व्यापारिक रणनीति (साजिश) के अंतर्गत उसी वस्तु को उससे कम कीमत पर खुदरा ग्राहकों को उपलब्ध कराती हैं। इससे ग्राहक आॅनलाइन कंपनियों की ओर चला जाता है। लेकिन जब इस कीमत युद्ध में खुदरा व्यापारियों के पैर उखड़ जाते हैं, और वह दुकानदारी से भाग जाता है, यही कंपनियां उसी वस्तु की भारी कीमत उपभोक्ताओं से वसूलती हैं। यानी यह व्यापार नीति न तो ग्राहकों के लिए ठीक है, न ही दुकानदारों के लिए। व्यापारियों की मांग है कि सरकार इसमें नीतिगत हस्तक्षेप करे।
22 अप्रैल को बैठक
कॉन्फेडरेशन आॅफ आॅल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के नेतृत्व में देश के व्यापारी-खुदरा दुकानदार और रोजगार से जुड़े लोग एकत्र होकर अपनी यह मांग केंद्र सरकार तक पहुंचाएंगे। उनका कहना है कि केंद्र सरकार को इस साजिश को समझते हुए उचित हस्तक्षेप कर आॅन लाइन बाजार से नष्ट हो रहे व्यापार-रोजगार को बचाने की पहल करनी चाहिए।
इसमें आल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स एसोसिएशन (ऐमरा) और आल इंडिया कंज्यूमर प्रोडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन (एआईसीपीडीएफ) के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इसमें व्यापारिक नेता, नीति विशेषज्ञ, अर्थशास्त्री और संबंधित हितधारक भी शामिल होंगे जो डिजिटल कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के कारण पारंपरिक व्यापार प्रणाली पर मंडरा रहे गंभीर खतरों और अनैतिक व्यापारिक गतिविधियों को उजागर करेंगे।