
नई दिल्ली। वह दिन दूर नहीं जबकि महुआ के फूलों से बनी देसी शराब ‘ठर्रा’ या ‘महुआ’ और गोवा की देसी शराब ‘फेनी’ का भी भर-भर के निर्यात होगा। दरअसल, भारत की शराब बनाने वाली कंपनियों के संगठन सीआईएबीसी ने सरकार से मांग की है कि ‘महुआ’ और ‘फेनी’ जैसी भारतीय पारंपरिक शराब को दुनिया भर में बढ़ावा दिया जाए। सीआईएबीसी का कहना है कि ऐसा करने से इस शराब का निर्यात बढ़ेगा और भारतीय ब्रांड अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुकाबला कर पाएंगे। कंफेडरेशन आॅफ इंडियन अल्कोहलिक बीवरेज कंपनीज (सीआईएबीसी) के चेयरमैन दीपक रॉय ने कहा कि सरकार की मदद से भारतीय पारंपरिक शराब को अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ावा दिया जा सकता है। इनमें भारत और दुनिया भर में बहुत संभावनाएं हैं।
एक समान टैक्स सिस्टम की जरूरत
उन्होंने यह भी कहा कि अलग-अलग राज्यों में टैक्स की दरें अलग-अलग होने से शराब उद्योग को बहुत परेशानी होती है। उन्होंने कहा, भारतीय शराब उद्योग के लिए कोई एक जैसी रणनीति नहीं है। उद्योग को एक समान टैक्स सिस्टम की जरूरत है, जिससे विकास को बढ़ावा मिलेगा। उकअइउ के डायरेक्टर जनरल अनंत एस अय्यर ने कहा कि भारतीय शराब उद्योग टैक्स में सुधार और अच्छी नीतियों की उम्मीद कर रहा है। इससे उद्योग का विकास होगा और सरकार को भी ज्यादा कमाई होगी।
शराब निर्यात में कहां है भारत
शराब निर्यात के मामले में भारत दुनिया में 40वें नंबर पर है। सीआईएबीसी का लक्ष्य है कि आने वाले सालों में भारत टॉप 10 में शामिल हो जाए। वर्ष 2023-24 में भारत ने 2,200 करोड़ रुपये से ज्यादा की शराब का निर्यात किया था। भारत से शराब यूएई, सिंगापुर, नीदरलैंड, तंजानिया, अंगोला, केन्या और रवांडा जैसे देशों में भेजी जाती है। उकअइउ चाहता है कि आने वाले सालों में शराब का निर्यात 1 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाए।
बहुत आगे जा सकता है उद्योग-सीआई एबीसी का मानना है कि यदि सरकार साथ दे तो भारतीय शराब उद्योग बहुत आगे जा सकता है। खासकर, जो हमारी पुरानी और पारंपरिक शराब है, उसे दुनिया भर में पहचान मिल सकती है। इससे किसानों को भी फायदा होगा, जो महुआ और फेनी जैसे उत्पादों को बनाते हैं। सरकार को चाहिए कि वह इस दिशा में ध्यान दे और जरूरी कदम उठाए।