
ऑपरेशन ब्लू स्टार तो सब को याद ही होगा। वही, जिसमें भारत की सेना ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में घुसकर आतंकवादी जनरैल सिंह भिंडरवाले और उसके कई समर्थकों को मौत के घाट उतार दिया था.
अब इसी ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी के मौके पर इसे लेकर तत्कालीन ब्रिटिश हुकूमत की भूमिका पर फिर सवाल उठे हैं.
दरअसल, ब्रिटेन के सिख सांसद वारिंदर ज्युस और जस अठवाल ने बृहस्पतिवार को ब्रिटेन की संसद में एक बार फिर मांग की कि जून 1984 में भारत में हुए ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ में तब की, मार्गरेट थैचर के नेतृत्व वाली कंजरवेटिव पार्टी नीत सरकार की संलिप्तता की स्वतंत्र जांच की जाए।
उत्तरी इंग्लैंड के वॉल्वरहैम्प्टन वेस्ट में सत्तारूढ़ लेबर पार्टी का प्रतिनिधित्व करने वाले ज्युस और देश के पूर्वी हिस्से में इलफोर्ड साउथ से लेबर सांसद अठवाल ने ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ (निचले सदन) की नेता लूसी पॉवेल के समक्ष सदन के सत्र के दौरान इस मामले को उठाया।
उन्होंने स्वर्ण मंदिर में चरमपंथ विरोधी भारतीय सैन्य अभियान के 41 साल पूरे होने के अवसर इस मुद्दे का जिक्र किया और इस साल की शुरुआत में अपने साथी सिख लेबर सांसद तन धेसी को पॉवेल द्वारा दिए गए आश्वासन की ओर इशारा किया। पॉवेल ने आश्वासन देते हुए कहा था कि ‘‘जो कुछ हुआ, उसकी तह तक जाने की जरूरत है।’’
ज्युस ने कहा, ‘‘2014 में सामने आए दस्तावेजों से पता चला कि थैचर सरकार ने ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ के लिए सलाह देकर अपने भारतीय समकक्ष की मदद की थी।’’ पॉवेल ने देश के सिख समुदाय के सदस्यों की चिंताओं को स्वीकार करते हुए कहा कि जनवरी की शुरुआत में संसद में आखिरी बार मामला उठाए जाने के बाद से उनके पास कोई अद्यतन जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘जब मुझसे पहले इस मुद्दे के बारे में पूछा गया था, तो मैंने इस पर आगे की कार्रवाई की थी। लेकिन मुझे यह बताते हुए खेद हो रहा है कि मैं अब भी प्रतीक्षा कर रही हूं।’’
(लोकदेश डेस्क/एजेंसी। लंदन)