Friday, June 6, 2025
Google search engineGoogle search engine
Homeदेशतेजप्रताप यादव: मैं तेरे इश्क में 'डर' न जाऊं कहीं…..

तेजप्रताप यादव: मैं तेरे इश्क में ‘डर’ न जाऊं कहीं…..

तेजप्रताप इश्क में तो हैं, लेकिन इसके चलते किस्त में लालू परिवार को जो झटके मिल रहे हैं, वो अब बिहार के इस कुनबे के इन चिरंजीव को भी डराते नजर आ रहे हैं

एक वो समय था, जब लालू प्रसाद यादव जो कहें, वो सुर्ख़ियों में आ जाता था। एक ये समय है, जब लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप जो करें वो चर्चा का विषय बन जाता है। तेजप्रताप ने जीवन का एक सुख घर से बाहर क्या तलाशा, उन्हें घर सहित  पार्टी से भी बेदखल कर दिया गया। लालू के लिए माना जाता है कि वो सियासत ही ओढ़ते और बिछाते भी हैं। चुनांचे उनका बेटे को यूं ‘त्यागना’ भी बिहार के आने वाले विधानसभा चुनाव में सियासी लाभ लेने की कोशिश का ही हिस्सा है। क्योंकि बेटे का ये प्रेमग्रंथ यदि जोर पकड़ गया तो परिवार के लिए सियासी नौका में विहार करना बहुत कठिन हो सकता है।

पापा कहते थे ‘बड़ा’ नाम करेगा, ‘ बड़का’ हमारा ऐसा काम.. 

लालू की उम्मीदें तो रहीं कि उनके कुनबे की लहलहाती सियासी फसल बड़े और छोटे बेटे के खलिहान में सुरक्षित रहे। इसके लिए उन्होंने जुगाड़ वाली तदबीर के नित-नए आविष्कार किए, लेकिन तकदीर अब तक उनके बेटों को उप मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री या नेता प्रतिपक्ष वाला ‘खालिस शाकाहारी’ सियासी सुख ही प्रदान कर सकी है। ‘तर माल’ के साथ चारा सूतना तो मुख्यमंत्री या केंद्रीय मंत्री रहते हुए ही मुमकिन है। अब देखते हैं कि बिहार के आने वाले चुनाव में लालू की ये कुनबाई हसरत पूरी हो पाती है या नहीं?

मैं अकेले यूं ही मजे में था,मुझे आप किसलिए मिल गए 

पत्नी के बाद लेडी दुर्वासा बनीं ऐश्वर्य ने घर छोड़ा तो तेजप्रताप ‘अकेले’ मजे में दिखने लगे। कभी खुद को कृष्ण के रूप में दिखाने लगे तो कभी कुछ और। लेकिन फिर जिंदगी में कोई और आ गई और शामत तब आ गई, जब तेजप्रताप ने ‘खुल्लम-खुल्ला प्यार करेंगे हम-दोनों’ वाली तर्ज पर सोशल मीडिया में अपने नए प्यार की पुरानी कहानी सार्वजनिक कर दी। बेटे ने इस इजहार के लिए उस समय का चयन किया, जब बिहार नई सरकार के चयन के लिए तैयार है। अब क्या तेजप्रताप ‘मुझे आप किसलिए मिल गए’ कह रहे होंगे?

.. लगता है कोई आया; कह दो कि आ रहे हैं, साहब नहा रहे हैं 

जनाब, कोई क्या आया? खुद चुनाव  दरवाजा खटखटा रहा है। जाहिर है कि राबड़ी जी की चिंता इस समय पर ऐसे माहौल को लेकर बढ़ ही गई होगी। लेकिन पतिदेव यानी लालू जी का अपना ही गणित है। यकीनन वो विवाद की इस बाढ़ में भी भरपूर तरीके से नहाते हुए लहरें गिन रहे होंगे कि किस तरह इन हालात को भी अपने लिए ‘आपदा में अवसर’ के रूप में फलीभूत किया जा सके। तेजप्रताप को बेदखल करते समय ‘नैतिकता’ की दुहाई वाला लालू का तड़का इसी निश्चिंत वाले भाव के स्नान से प्रेरित नजर आता है।

ओ ‘बड़के’ प्यार न करियो, डरियो, घर छूट जाता है

तेजस्वी ने बड़े भैया को दिलासा दिया है। उनके साथ होने की बात कही है। ये तो हुआ सोशल मीडिया वाला आपसी (स्क्रिप्टेड नजर आने वाला) संवाद। लेकिन लगता है कि एक पुरानी हिंदी फिल्म ‘छोटा बाप’ का शीर्षक यहां लागू हो रहा होगा। तेजस्वी ने कहीं न कहीं, किसी न किसी रूप में जयेष्ठ भ्राता को शायद यह नसीहत दे ही दी होगी कि इस तरह का प्यार न करियो, डरियो, घर और पार्टी, सब छूट जाता है। बाकी तो ‘मैं हूँ ना’ वाली बात हुई ही होगी।

(लोकदेश के लिए रत्नाकर त्रिपाठी)