
उस घर के बाहर भीड़ खड़ी रहती थी और सब निहारते रहते थे उस व्यक्ति को जो हाथ में लाल और नीले रंग के मोटे प्लास्टिक वाले दो डिब्बे लेकर खड़ा हुआ है.
लोकेशन ऐसी बहुमंजिला इमारत की रहती थी, जो यह बताने में मदद करे कि मामला किसी लोअर मिडिल क्लास लोगों के रहने वाली जगह का है.
वह शख्स उधड़े हुए रंग वाली पुरानी इमारत के किसी एक घर में घुसता और उसका दरवाजा एक महिला (जो घर की मालकिन है) खोलती। अक्षय को देखकर वो महिला हैरत से भरी हुई है और कैमरा उस औरत के चेहरे से सरककर फिर उस कोण पर फिक्स हो जाता है, जहां उस व्यक्ति एक चेहरा और उसके हाथ वाले दोनों डिब्बे अपने नाम के साथ साफ़-साफ़ दिखाई दे रहे हैं.
फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार का यह विज्ञापन काफी चर्चित रहा.
अक्षय आज जिस मुकाम पर हैं, उसे देखकर कल्पना करना भी मुश्किल है कि उन्होंने कभी खुद के घर का टॉयलेट भी साफ़ किया होगा। लेकिन विज्ञापन में वो उस औरत के घर के संदूकनुमा टॉयलेट में घुसकर उसकी सफाई में जुटे हुए दिखते हैं.
ज़रा देर पहले तक पीलेपन और गंदगी से भरा दिख रहा वह टॉयलेट चमक जाता है. अलग से कहने की जरूरत नहीं कि ऐसा करिश्मा अक्षय के हाथ में थमे उन दो डिब्बों का ही कमाल है, जो अक्षय के लिए ‘माल’ यानी उनकी तगड़ी फीस का माध्यम बने हैं.
जी हाँ, अक्षय विज्ञापन के लिए भी तगड़ी फीस लेते हैं.
अब डिब्बा तो उसी प्रोडक्ट का है. हाँ, उसे थामने वाला हाथ बदल गया है तो डिब्बे में बदलाव करना लाजमी है. वैसे आमतौर पर ऐसे उत्पादों में बदलाव का मतलब नई बोतल में पुरानी शराब भरने जैसा ही होता है. बस इबारत बदल दी जाती है, सामग्री तो पहले वाली ही रहती है.
तो पुरानी शराब वाली नई बोतल वाले अंदाज में अब शाहरुख़ खान नजर आएँगे। इस प्रोडक्ट को अब एसआरके प्रमोट करेंगे। वही टॉयलेट क्लीनर, जो अब शाहरुख़ की जुबान से इस देश को बताएगा कि टॉयलेट साफ़ करने का कर्म तब तक अधूरा है, जब तक संबंधित कंपनी के उस प्रोडक्ट को इस्तेमाल न किया जाए.
अब अक्षय और शाहरुख़ हैं तो फिर वह टॉयलेट क्लीनर तो मध्यमवर्गीय मानसिकता की उस समझ को क्लीन बोल्ड कर ही देगा, जो मानसिकता बताती आई है कि किस तरह घातक कैमिकल्स वाले ऐसे टॉयलेट क्लीनर की जगह सुरक्षित तरीके से भी संडास की सफाई की जा सकती है.
खैर, जब आप माउथ कैंसर के सबसे बड़े कारण किसी गुटखे का प्रचार कर सकते हैं तो फिर टॉयलेट क्लीनर तो उससे बहुत अधिक ‘पिछड़ा’ हुआ ही है.
टॉयलेट साफ़ करने वाले अपने विज्ञापनों के बाद अक्षय कुमार ने एक फिल्म चर्चित भी की, ‘टॉयलेट एक प्रेम कथा’. विज्ञापन और फिल्म, दोनों ही उनके लिए भारी-भरकम कमाई का जरिया बने.
अब शाहरुख़ का यह विज्ञापन भी टॉयलेट क्लीनर को उस फ्रेम में ले आता है, जहां नज़रों का फोकस विशुद्ध रूप से कमाई करने पर होता है. बाकी टॉयलेट का क्या है? एक फ्लश चला और सब ख़त्म। बात तो उस रकम की है, जो अक्षय और शाहरुख़ की तिजोरी में दनादन पैसे भरती जाती है. इस तिजोरी का पैसा हम और आप देते हैं, उनके चेहरे से प्रभावित होकर वह उत्पाद खरीदकर. हाँ, यह जान लीजिए कि इन और इन जैसे हमारे आदर्श अभिनेताओं की तिजोरी के आकार के आगे आप और हमारे घर के टॉयलेट बहुत छोटे हैं. उनके हाथ में दिखते मोटे प्लास्टिक वाले डिब्बों से भी छोटे।

(लोकदेश के लिए रत्नाकर त्रिपाठी)