
भारत में कश्मीर को लेकर दुनिया-भर में प्रोपोगेंडा चलाने वाला पाकिस्तान खुद बलूचिस्तान में क्या कर रहा है, यह एक बार फिर वैश्विक स्तर पर उजागर हो गया है.
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञों ने पाकिस्तान से कहा है कि वह बलूचिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाओं पर ध्यान दे.
इन विशेषज्ञों ने बलूचिस्तान प्रांत में लोगों को जबरन गायब करने की निरंतर घटनाओं पर चिंता जाहिर करते हुए पाकिस्तानी सुरक्षा बलों द्वारा व्यापक यातना दिए जाने, न्यायेतर हत्याएं करने और अंधाधुंध हिंसा करने की रिपोर्ट की निंदा की.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार निकाय द्वारा मंगलवार को जारी एक बयान के अनुसार, विशेषज्ञों ने बलूचिस्तान में पाकिस्तान के आतंकवाद-रोधी उपायों के ‘अत्यधिक और हानिकारक प्रभावों’ पर गंभीर चिंता व्यक्त की तथा अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रति पूर्ण सम्मान का आह्वान किया.
विशेषज्ञों ने कहा, ”ऐसा प्रतीत होता है कि पाकिस्तान वैध मानव और अल्पसंख्यक अधिकारों की वकालत को तथा सार्वजनिक प्रदर्शनों को आतंकवाद के साथ मिला रहा है, जिससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सभा और लोगों के संघ के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है.” विशेषज्ञों ने कहा, ”बलूचिस्तान में बार-बार इंटरनेट ‘ब्लैकआउट’ ने सूचना की स्वतंत्रता, पारर्दिशता, जवाबदेही, राजनीतिक भागीदारी और नागरिकों के हित को बाधित किया है.”
विशेषज्ञों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों और बलूच मानवाधिकार रक्षकों को सुरक्षा बलों द्वारा व्यापक रूप से यातना दिये जाने, दुर्व्यवहार करने, न्यायेतर हत्याएं करने और अंधाधुंध हिंसा करने से जुड़ी रिपोर्ट को लेकर निंदा की.
उन्होंने बलूच यकजेहती समिति (बीवाईसी) के नेताओं और उनके समर्थकों को नजरबंद किये जाने तथा उनके परिवार के सदस्यों और वकीलों के खिलाफ कार्रवाई पर चिंता व्यक्त की.
विशेषज्ञों ने कहा कि पाकिस्तान को बलूचिस्तान में उन शिकायतों के समाधान के लिए अपने प्रयास तेज करने चाहिए जिनसे हिंसा बढ़ सकती है.
(लोकदेश डेस्क/एजेंसी। जिनेवा)